Avinash Priyam Shukla   (प्रियमवी)
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Joined 14 June 2017


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Joined 14 June 2017
30 DEC 2021 AT 2:20

घरों में बैठे - बैठे
ख्याल भी अलसी हो जाते हैं
यह चाहिए , वह चाहिए , इतना चाहिए , उतना चाहिए
हमारे विचार , धर्म और जाति,
यह हैं , वह हैं
बस एक दिन , बस किसी क्षण
ख्याल को काम पर लगा के देखो
कोई सीमा पर खाकी में खाक हो रहा हैं
तुम्हें असीमित करते-करते

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23 DEC 2021 AT 0:44

दिल कहता हैं
इश्क किया जाए
उम्र कहती हैं
पैसे कमाएं जाए
जीवन कहता हैं
तालमेल बनाया जाए

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20 DEC 2021 AT 23:02

राम आदर्श हैं
और आदर्श ही राम हैं
प्रदार्थ को स्थिर होना ही हैं
बस एक मेरे राम ही हैं
जो अविराम हैं

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20 DEC 2021 AT 22:50

एक नजर में
नजर बना लेना
कोई सिया - राम से सीखें
सभी शक्तियों के समाहार हो के भी
सबका सहयोग लेना
कोई मेरे राम से सीखें
प्यार और कर्तव्य में सर्वस्व न्यौछावर करना
स्त्री की अस्मिता में भारत को एक कर देना
कोई मेरे राम से सीखें
सीखें तो यह भी सीखें
भगवान को महान होने के लिए
इंसान बनना पड़ता हैं
तो इंसान भगवान क्यूं नहीं बन पाता हैं

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14 DEC 2021 AT 16:50

कहानियां होती ही हैं
पूरी होने को
बस
शर्त पूरी होने तक
पढ़ी और समझी जाए

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13 DEC 2021 AT 21:38

बनारस , पुरातन से भी पुराना
बनारस , अघतन से भी ज्यादा आज
बनारस , जीवन से भी ज्यादा जीवित
बनारस , शंकर से भी ज्यादा अविनाशी
बनारस , सन्यासी से भी जायदा वैरागी
बनारस , उत्सव हैं जीवन - मृत्यु का
बनारस , संधि हैं जीवन - मरण का
बनारस , नाथ हैं विश्व का

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3 DEC 2021 AT 2:03

हम हाड़-मांस के कलपुर्जे नहीं
हम जन हैं
हम गण हैं
हम भाग्य हैं
उत्तर में इंदिरा कोल से दक्षिण में प्वाइंट तक
पूर्व में किबिथु से पश्चिम में क्रीक तक
सिर्फ भूमि नहीं हैं
यह विधाता हैं

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31 OCT 2021 AT 13:35

पहले हम मिले
नज़र मिली , दिल मिले
फिर भविष्य में साथ मिलना हैं !
तो अब मिलते नहीं है
बस तबियत की खबर मिलती है
व्यस्त है घर बनाने में
बस यकीन ही मिलता है
और मिलता है तो बस ख्वाब
कि
एक दिन हम साथ मिलेंगे

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12 SEP 2021 AT 13:16

तितलियों को कैद कर
तुम अपना जहान सजाते हो
जाहिल हो तुम
जिनसे ईट और पत्थर भी मिलकर
घर बन जाया करते है
तुम उन्हें ही घरों में कैद करके
अपने धर्म बचाते हो

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8 SEP 2021 AT 23:07

मेहँदी जब उसके हाथों पर लगती है
क्या बताए वह कैसी लगती है !
खीची गयी रेखा , जीवन रेखा सी लगती है
लिखा नाम मेरा पता सा लगता है
और महक अए-हाय
बारिश में भीगी मिट्टी सी लगती है
इस पर जब वह लाल-साड़ी और बिन्दी
में आकर कहे - देखो सब ठीक है ना !
या खुदा
इसकी को जन्नत कहते है ना !!

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