गरीबी तय नहीं करेगी सफर मेरी
जिंदगी का ,
मेहनत बताएगी कि मंजिल कमियाबी की
मिलेगी क्या नहीं ।।-
काले रंग पर मरने वाली वो लड़की ,
मेरे काले रंग को पसंद नहीं करती ,
अच्छा तो में भी हूँ,
मगर वो चेहरा देखती हैं मेरा दिल नहीं देखती ।।
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कई टुकड़ों में बाट देती है जिंदगी ,,
जिम्मेदारी जब बचपन में संभालनी पड़ती है , हो जाते है वक्त से पहले ही
बड़े हम , जब गरीबी इम्तिहान लेती है ।।-
खाली पड़ी दीवारें , घर मेरा कितना सूना लगता है
सब कुछ है हासिल मुझे जिंदगी मै , बस तेरा ना होना जैसे
जीवन अधूरा लगता है ।।
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इन आंखों में कई सपने थे , दरवाजे जब घर के अपने थे ।
सब बर्बाद कर दिया इस मोहब्बत ने ,
जब खंजर से बार किया अपनी ही मोहब्बत ने ।।-
तुम भी किन लोगों से उम्मीद लगा बैठे हो ,
जो जिंदा होकर भी मरे हुए से लगते है ।।-
के,अब जब लौट कर आयेगे घर को ,
तो चौखट घर की रोशन कर देंगे ,
बदल देंगे घर की लकीरें गरीबी की ,
कामयाबी की जब बुलंदियों को छुएंगे ।।
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हालत बस इतने बदल दिए मेने ,
की दोस्तो के करीब ओर मोहब्बत से दूरियां बना ली ।।
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जल कर मिट्टी हो चुका हूँ ,
अब इस मिट्टी के लिए आसूं बहाना क्या ,
अगर गम है तुझे मुझ से बिछड़ने का ,
तो अब अफसोस करने से होना क्या ।।
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चल भूला दिया तूने हमको अच्छा ही किया ,
हम भी बर्बाद ना होकर , किसी ओर से अब इश्क कर बैठे है ।।-