जानबूझकर गलतियां जवानी करती है,
पर
'पश्चाताप का दंश' तो बुढ़ापा को सहना पड़ता है ।।-
निगाहों से अपनी नज़ारा दिखा दो,
दिलों से दिल के तार जोड़ कर बता दो ।।-
"माँ"
थपथपाती हुई थपकियों से मां तू सुलाया करती थी,
माँ तेरी सुनाई गई लोरियां हमें भाया करती थी,
पिताजी के डर से मां तेरे आंचल में छुप जाया करता था,
मां तेरी सख्ती के बाद लाड करना बड़ा अच्छा लगता था,
खेल खेल में चोट लगने के बाद जब हम रो दिया करते थे,
मां तेरी उंगलियों से पोंछे गए हमारे आंसू दिल को सुकून दिया करते थे,
दिन भर के भागम भाग के बाद जब पेट में चूहे दौड़ा करते थे,
मां तेरे हाथों से परोसे हुए रोटी मन को तृप्त कर दिया करते थे,
किसी बात की जिद पर जब हम बेवजह रूठ जाया करते थे,
मां तेरे मुस्कुराकर मनाने पर हम झट से मान जाया करते थे,
घर के खर्च से कुछ पैसे बचाकर तुम हमारे शौक पूरा किया करती थी,
इस जद्दोजहद में मां तुम अपने खुद के अरमान मार दिया करती थी,
तमाम कठिनाई के बाद भी तू हरदम मुस्कुराया करती थी,
अगर होता भी दर्द तुझे तो तू छुप के आंसू बहाया करती थी,
तुम हमें स्वाभिमान पूर्ण जीवन जीने की कला बताया करती थी,
संग उसके धैर्य,साहस और करुणा का पाठ पढ़ाया करती थी,
समय की बढ़ती चाल के संग मां अब तू भी बूढ़ी हो चली है,
पर तेरे वात्सल्य में कोई कमी नहीं और आंखों में भी वही ममता से भरी नमी है,
मां तेरे सम्मान में अगर लिखना भी चाहूं तो शब्द कम पड़ जाएंगे,
भले तुझे जीवन की सारी खुशियां दे दें पर तेरे ममता का कर्ज़ नहीं चुका पाएंगे ।।
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उसके हाथों में मेरे नाम की मेहंदी रचनी थी,
पर उसने किसी और के नाम की मेहंदी अपने हाथों में रचाई,
उसकी डोली मेरे घर को आनी थी,
पर उसने किसी और के घर के लिए अपनी डोली की रुख कराई,
उसके माँग के सिन्दूर मेरे चुटकियों से सजने थे,
पर उसने किसी और के चुटकियों से अपने माँग में सिन्दूर सजायी,
उसके संग जीने मरने का वादा किया था,
पर उसने मेरे मौत की खबर सुन खुल के खुशियाँ है मनाई,
उसके हाथों में मेरे नाम की मेहंदी रचनी थी,
पर उसने किसी और के नाम की मेहंदी अपने हाथों में रचाई ।।
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हमने तो सारी उम्र उनसे मोहब्बत की,
वो थोड़ा सा इंतज़ार भी ना कर पाए,
हमने तो अपनी ज़िन्दगी तक उनके नाम कर दिया,
वो अपना थोड़ा सा वक़्त भी हम पर ना लूटा पाए,
हमने कभी आने ना दिए उनकी आँखों में आँसू,
वो हमारी मुस्कुराहट की भी कद्र ना कर पाए,
हमने तो उनकी बेवफाई की भी हिफाज़त की,
वो हमारी वफ़ाओं को भी सरेआम बदनाम कर आए,
हमने उसे ज़ालिम दुनिया की नजरों से हमेशा महफूज़ रखा,
और वो मौत से हमारी ज़िन्दगी का सौदा कर आए,
हमने तो सारी उम्र उनसे मोहब्बत की,
वो थोड़ा सा इंतज़ार भी ना कर पाए ।।-
मौत के नजदीक हूँ,
ज़रा एक बार आकर तो देख लो,
झूठा हीं सही,
मेरे पास बैठकर दो बूँद आँसू के बहा कर तो देख लो,
मेरे साथ ज़िन्दगी भर का साथ तो गवारा नहीं था तुम्हें,
पर मेरे जनाज़े पे कुछ दूर चलकर कभी हमारे बीच हुए झूठे इश्क़ की लाज रखकर तो देख लो।।-
मेरी तन्हाइयों का सफर मैंने खुद झेला है,
वो ये नहीं जानता कि ये दिल उसके बिना कितना अकेला है,
ये जिंदगी कुछ नहीं बस चार दिनों का मेला है,
फिर भी हर सच्चे दिल के साथ किसी ना किसी बेरहम ने खेल खेला है,
मुझको बर्बाद करके भी वो मेरे लिए पाक साफ है,
और उसकी नजरों में मेरा दिल मैला है ॥
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ख़्वाब तो देखे थे उसको पाने की,
पर कभी उसको पाने की कोशिश नहीं की,
अब जब वो हो गया है किसी और का,
तो उसपर अपना हक जताने की हिमाकत नहीं की,
दिल में बस उसको सिर्फ उसको बसाया था,
उसके बाद किसी और को अपने दिल में घर करने की इजाज़त नहीं दी ॥
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उसके गलियों से गुजरे जमाना हो गया,
जो था कभी अपना अब बेगाना हो गया,
आँसुओं और गमों का मेरे जिंदगी में ठिकाना हो गया,
कल देख कर भी मुझको वो अनजाना हो गया,
घर था कभी जो घर मेरा वो अब मयखाना हो गया,
अंजाम तक जिस इश्क़ को पहुँचाना था वो अधूरा अफसाना हो गया,
उसके गलियों से गुजरे जमाना हो गया ॥
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