AVINASH LAL DAS   (Avinash Lal Das)
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Joined 17 September 2020


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Joined 17 September 2020
2 APR AT 21:34

ना हिन्दू अच्छा, ना मुसलमान अच्छा,
अच्छा वो है जिसका ईमान सच्चा ।।

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4 FEB AT 12:06

उसके हाथों में मेरे नाम की मेहंदी रचनी थी,
पर उसने किसी और के नाम की मेहंदी अपने हाथों में रचाई,
उसकी डोली मेरे घर को आनी थी,
पर उसने किसी और के घर के लिए अपनी डोली की रुख कराई,
उसके माँग के सिन्दूर मेरे चुटकियों से सजने थे,
पर उसने किसी और के चुटकियों से अपने माँग में सिन्दूर सजायी,
उसके संग जीने मरने का वादा किया था,
पर उसने मेरे मौत की खबर सुन खुल के खुशियाँ है मनाई,
उसके हाथों में मेरे नाम की मेहंदी रचनी थी,
पर उसने किसी और के नाम की मेहंदी अपने हाथों में रचाई ।।





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3 FEB AT 0:04

हमने तो सारी उम्र उनसे मोहब्बत की,
वो थोड़ा सा इंतज़ार भी ना कर पाए,
हमने तो अपनी ज़िन्दगी तक उनके नाम कर दिया,
वो अपना थोड़ा सा वक़्त भी हम पर ना लूटा पाए,
हमने कभी आने ना दिए उनकी आँखों में आँसू,
वो हमारी मुस्कुराहट की भी कद्र ना कर पाए,
हमने तो उनकी बेवफाई की भी हिफाज़त की,
वो हमारी वफ़ाओं को भी सरेआम बदनाम कर आए,
हमने उसे ज़ालिम दुनिया की नजरों से हमेशा महफूज़ रखा,
और वो मौत से हमारी ज़िन्दगी का सौदा कर आए,
हमने तो सारी उम्र उनसे मोहब्बत की,
वो थोड़ा सा इंतज़ार भी ना कर पाए ।।

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30 JAN AT 21:39

मौत के नजदीक हूँ,
ज़रा एक बार आकर तो देख लो,
झूठा हीं सही,
मेरे पास बैठकर दो बूँद आँसू के बहा कर तो देख लो,
मेरे साथ ज़िन्दगी भर का साथ तो गवारा नहीं था तुम्हें,
पर मेरे जनाज़े पे कुछ दूर चलकर कभी हमारे बीच हुए झूठे इश्क़ की लाज रखकर तो देख लो।।

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13 JAN AT 22:32

मेरी तन्हाइयों का सफर मैंने खुद झेला है,
वो ये नहीं जानता कि ये दिल उसके बिना कितना अकेला है,
ये जिंदगी कुछ नहीं बस चार दिनों का मेला है,
फिर भी हर सच्चे दिल के साथ किसी ना किसी बेरहम ने खेल खेला है,
मुझको बर्बाद करके भी वो मेरे लिए पाक साफ है,
और उसकी नजरों में मेरा दिल मैला है ॥

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5 JAN AT 18:07

ख़्वाब तो देखे थे उसको पाने की,
पर कभी उसको पाने की कोशिश नहीं की,
अब जब वो हो गया है किसी और का,
तो उसपर अपना हक जताने की हिमाकत नहीं की,
दिल में बस उसको सिर्फ उसको बसाया था,
उसके बाद किसी और को अपने दिल में घर करने की इजाज़त नहीं दी ॥

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19 DEC 2024 AT 15:48

उसके गलियों से गुजरे जमाना हो गया,
जो था कभी अपना अब बेगाना हो गया,
आँसुओं और गमों का मेरे जिंदगी में ठिकाना हो गया,
कल देख कर भी मुझको वो अनजाना हो गया,
घर था कभी जो घर मेरा वो अब मयखाना हो गया,
अंजाम तक जिस इश्क़ को पहुँचाना था वो अधूरा अफसाना हो गया,
उसके गलियों से गुजरे जमाना हो गया ॥








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13 DEC 2024 AT 1:07

इश्क़ भी है शाम भी है,
होठों पर महबूब का नाम भी है,
महफिल सजी है मयखाने में और हाथों में जाम भी है,
सनम के यादों में पीकर शराब दिल को आराम भी है,
उसके सिवा किसी और का जिक्र महफिल में मेरे लिए हराम भी है,
साकी के हाथों से तो पी है बहुत पर हमदम की आँखों से पीने का बचा काम भी है,
मय सी उसकी नशीली आँखों में डूब जाना मेरा हसीन अंजाम भी है,
इश्क़ भी है शाम भी है,
होठों पर महबूब का नाम भी है ॥




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11 DEC 2024 AT 0:04

इश्क़ में अपनी ही क़िस्मत खोटी रही हमेशा,
जिससे दिल लगाया उसे ही ना पाया,
इश्क़ में जख्म भी उसने दिया,
और मरहम लगाने भी ना आया,
उसकी बेरुखी को हमने पलकों में रखा,
उसे मेरी बेबसी पर भी तरस ना आया,
उसने बर्बाद किया था हमें इश्क़ में,
पर हमने कभी उसे गुनाहगार ना बताया,
हमने जिंदगी में की बस एक खता,
जब खुदा की जगहा उसको खुदा बताया,
हमने अपनी जिंदगी तक उसके नाम किया,
उसने किसी और के नाम की मेहंदी अपने हाथों में रचाया,
कल बरसों बाद फिर जब उसका जिक्र हो आया,
एक मुस्कान के बाद आँखों से मेरे आँसू निकल आया,
इश्क़ में अपनी ही क़िस्मत खोटी रही हमेशा,
जिससे दिल लगाया उसे ही ना पाया ॥


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10 DEC 2024 AT 0:00

तेरे हुस्न के गुलशन से प्यार का रस चुराना चाहता हूँ ,
तेरे व्यस्त लम्हों में से अपने लिए कुछ पल चुराना चाहता हूँ ,
तेरे मुस्कुराहट के पीछे छुपे हुए दर्द को चुराना चाहता हूँ,
तेरे ख्यालों में बसकर तेरी रातों की नींद चुराना चाहता हूँ,
तेरे खुशियों की वजह बन तेरे नसीब में लिखे हुए ग़मों को चुराना चाहता हूँ,
तेरे रूह में समाकर मैं तुझसे ही तुझको चुराना चाहता हूँ,
तेरे हुस्न के गुलशन से प्यार का रस चुराना चाहता हूँ ॥

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