उदासी लौट आती है
कभी कभी बहुत सारे सुख के साथ-
Avinash Kumar chanchal
(Avinash Chanchal)
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In between forgetting and remembering
Joined 9 February 2018
31 JAN 2022 AT 7:23
मेरे घर के नीचे एक किराना दुकान है! अकसर मैं अगर कहीं दूसरे दुकान से कुछ लेकर लौट रहा होता हूँ तो उससे नज़रें नहीं मिला पाता!
(अधूरी डायरी)-
16 AUG 2020 AT 13:54
सरकारी क्वॉर्टर की दुपहरी कितनी सूनी होती है!
देखा है कभी ?-
11 MAR 2020 AT 12:28
ग़म की साइकल पर सवार
रात अंधेरे से सहर के उजाले का सफ़र तय करता हूँ!-
9 FEB 2020 AT 15:03
किसी का मूल्यांकन करते वक्त हमें अपने दृष्टिकोण का भी मूल्यांकन करना चाहिए ।
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