करवटें बदलते बदलते
होने को अब भोर है आई.
पिया मिलन की आस में
इन आंखों को रास नींद न आई.
भरने को बेताब तुम्हें
उत्सुक दोनो बाहें हैं मेरे.
आओ मिलकर शुरुआत करें
खुशियों से भरी जिंदगी हमारी.-
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खामोश आँखों की बोलती बेचैनी.
उदास चेहरे की मुस्कुराती बेचैनी.
जाने कैसे पता चल जाता है इसको.
घर कर चुकी जेहन में बेघर बेचैनी.
घरवालों की रोज खोज खबर और.
राह देखती उस घर की बेचैनी.
उड़ कर उसके पास पहुँचकर.
माँ से फिर लिपट जाने की बेचैनी.
है बेचैनी सी दिल में इन दिनों.
कुछ उलझी सी उलझाई बेचैनी.-
माँ का कोई एक दिन नहीं होता.
माँ के बिना कोई दिन नहीं होता.
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जाने फिर क्या तोड़ जाये ज़बाब तेरा.
मेरे सवाल, सवाल ही रहें तो बेहतर है.
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ये जो मोहब्ब्त की पहचान लिये बैठे हैं.
होठों पे खामोशी, दिल में तूफ़ान लिये बैठे हैं.
अफ़वाह थी कि कोई तस्वीर छपी है उनकी.
सुबह से ही हम सारे अखबार लिये बैठे हैं.
ख्वाईश थी, आज उन्हें गले लगा कर रोयेंगें.
आज ही वो हाथों में मेहंदी लगाये बैठे हैं.
मिलने को मुझे अपने ख़्वाबों में बुलाकर.
अपने ही नींद पे वो पहरेदार लगाये बैठे हैं.-
दर-ब-दर हो गये हैं ये रोज कमाने वाले.
घर ढूंढने में लगे हैं आजकल घर बनाने वाले.
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पिघलकर साँझ की मखमली बाहों में.
देखो, सूरज कैसे लाल हुआ जाता है.
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और हाँ! हाथ भी धोते रहियेगा नहीं तो,
बहुत कुछ से हाथ धोना पड़ सकता है.
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कि याद करते हैं अब तो याद आते हो तुम.
इतनी तन्हा तो ना थी पहले तन्हाई कभी.
गुजरते हैं दिन आस में हिचकियों के अब तो.
इतने मसरूफ तो ना थे पहले हरजाई कभी.
यूँ गुम हुए कि जैसे कोई मरासिम ही ना था.
याद आता है मुझे कि थे तुम परछाई कभी.
कहते हो, भर जाते हैं ज़ख्म सभी वक़्त के हाथों.
तुमने देखा है क्या ज़ख्मो की गहराई कभी.-
इक ये भी एहसान कर गया वो जाते जाते.
दिल और दिमाग मिरे दुश्मन बने बैठे हैं.
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