इश्क में इंसान हम क्या से क्या हो गए,
हंसी आ रही है हम किस मुकाम पर आ गए।-
और मैं इस कहानी में फंसता चला गया,
वो जब जब रोयी मैं रुमाल लेकर चला गया,
यूं तो चाहत थी एक साथी बनने की,
किस्मत यूं थी हमारी एक कंधा बनकर रह गया।-
आप आम नहीं, एक गुड़िया जो सबकी जान है,
बस आज नहीं हर दिन और शाम का ये पैगाम है,
आप फूल है जिस बाग की उस बगीचे की शान है,
आपके दामन में नवरत्नों को भी होने का गुमान है,
आपके चेहरे की रौनक बस आपकी वो मुस्कान है,
आपके खिलखिलाहट की गूंज हर घर में आपकी पहचान है,
आप तक आने वाले हर गम को उस रब से भी इंकार हो,
आप चाहे जो खुशियाँ वहाँ खुशियों की बौछार हो,
आप हंसती रहो, यूं महकती रहो,
आप निखरती रहो, यूं संवरती रहो,
यही आपके जीवन में उम्र का पड़ाव हो,
बस आज नहीं हर दिन आपका आपके चाहत के नाम हो ।
जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं 🎉🎂🎊
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"जो याद आते हैं,
वो दौर था बचपन का,
ये दौर जवानी के,
कभी याद आएंगे,
जो आने वाला है
वो दौर बुढ़ापा है,
जो कर गुज़रेंगे आज,
वही साथ जाएंगे ।"-
एक अश्क है,
जो मुक्कमल आती नहीं है,
और
एक इश्क है,
जो मुक्कमल होती नहीं है।-
मुक्कदर का सफर यही था,
हमारा साथ हमसफ़र यही था,
फुलों पर चलते हुए जब कांटे चुभे पावं मे,
तब लहू ने बताया फूलों को कुचलने का अंजाम यही था।-
वक़्त मुक़्क़मल नहीं,
हुआ बेसब्र हुं मै,
जाना मुझको कहाँ,
हुआ बेखबर हुं मै,
ज़िन्दगी कटी जा रही है,
राहें लिये जा रही है,
रुकना मुनासिब नहीं,
इस कशमकश मे जिए जा रहा हुं मै।-
अभी पांव धरा को चुमी ही थी,
मां की ममता को छिन लिए,
लार- प्यार में पिता के पल कर,
जब सपने देखन की उमर हुई,
क्या अजब तुम्हारी माया गिरिधर,
उस सपने को भी तोड़ दिए,
माँ की ममता, बिन पिता का साया,
मासूमो से एसी क्या भूल हुई,
ऐसी दुविधा में क्यूँ छोड़ दिए।— % &-
आज दिन है उनके पूजन का,
जिनके अंश है हम,
रखते हैं जो दुनिया का लेखा-जोखा,
उनके वंश है हम,
आज करते हैं हम चित्रगुप्त महराज की पूजा,
क्यूँकि चित्रांश हैं हम।
Happy Chitragupta Puja-
जब घर पर थे तो सारे भाई-बहन कमरों के लिए लड़ते थे,
ये कमरा मेरा तो वो कमरा मेरा, ये बिस्तर मेरा वो तुम्हारा,
आज वही घर, वही कमरे, वही बिस्तर सूने परे हैं,
और हम!! हम यहाँ एक कमरे के लिए भटक रहे हैं।-