Avinash Karn  
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कल्पनाओं को कागज़ पर उतारने कि एक नाकाम कोशिश
Joined 22 March 2020


कल्पनाओं को कागज़ पर उतारने कि एक नाकाम कोशिश
Joined 22 March 2020
14 MAR 2023 AT 15:36

नियति का कोई साजिश फलित नहीं होगा,
इस कर्मयुद्ध को मैं किसी भी कीमत पर जीतूंगा।
अफसोस! जो लोग मुझे जान से भी प्यारे हैं, बहुत पिछे छूट जाएँगे।

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9 MAR 2023 AT 17:01

एक नायाब हुनर से नवाजा है खुदा ने मुझे,
दुःखों का पहाड़ टूटा है और चेहरे पर सिकन तक नहीं!

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7 MAR 2023 AT 13:41

इस बेरंग सी जिंदगी में लहू के अलावा कुछ भी रंगीन नहीं !

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22 FEB 2023 AT 14:47

जो बातें पहले से ज्ञात हो या तय हो,
उस चीज को उसी समय स्वीकार कर लेना चाहिए,चाहे वो बातें दुःख ही क्यों न दे रही हो,क्योंकि जब बातें या घटना चरितार्थ होती है तो अत्यंत दुःखद और अशहनिय हो जाती है।

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12 FEB 2023 AT 1:00

यह साल बिछड़ने का है,ऊंचाइयों को छूने का है।कुछ रिश्तें जो बहुत दिनों से साथ थे,physically साथ नहीं होंगे, यादें जरूर जीवंत रूप से स्मृति(Memory) में संरक्षित रहेंगी।
मेरे हृदय में किसी के लिए घृणा, रोष,द्वेष(Grudge,क्रोध)
अंश मात्र भी नहीं है,फिर भी अनजाने में मैंने किसी को मानशिक रूप से कष्ट पहुँचाया हो तो,उनसे और परमात्मा से क्षमाप्रार्थी हूँ।

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11 FEB 2023 AT 10:21

कभी-कभी आंखों से देखा और कानों से सुना पूर्णतः सत्य नहीं होता।आँख बंद करे और उनके द्वारा आपके लिए किए गए अच्छे कार्यों को याद करें फिर उनके बारे में राय बनाये।
जल्दबाजी में सम्बन्ध-विच्छेद(रिश्ता खत्म) न करें।
आजकल स्वार्थपूर्ति करने वाले लोग बहुत है और हितैषी लोग बहुत कम,इसीलिए रिश्तों को सहेज कर रखें।

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10 FEB 2023 AT 23:05

विनम्रता से अहंकार का नाश होता है,
दया,क्षमा,करुणा और उदारता मनुष्य के श्रेष्ठत्तम गुण हैं,
हिंसा और क्रूरता पशुत्व है।

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10 FEB 2023 AT 3:00

प्रभु चरण शाश्वत है,मोक्ष प्रदान करने वाला है
संसार और सांसारिक वस्तु मिथ्या है,नश्वर है।

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8 FEB 2023 AT 1:04

प्रेम और आशक्ति

प्रेम और आशक्ति एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत है।
प्रेम सम्पूर्णता का बोध है,आशक्ति अपूर्णता का भय,
प्रेम स्वकक्षन्द है, आशक्ति पराधीन है,
प्रेम निर्मल है,आशक्ति मलीन है,
प्रेम निच्छल है,आशक्ति छल(धोखा) है,
प्रेम निस्वार्थ है,आशक्ति स्वार्थ से पोषित है,
प्रेम निर्भय है, आशक्ति भयभीत है,
प्रेम निष्काम है, आशक्ति कामना है,
प्रेम चेतना का शिखर है, आशक्ति भौतिकता का चरम है,
प्रेम परमानंद की अनुभूति है,आशक्ति दुःखों का सागर है,
प्रेम कृष्ण की बासुरी का धुन है,आशक्ति रावण का अहंकार है,
प्रेम जीवन का आधार है,आशक्ति मृत्यु का द्वार है।

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7 FEB 2023 AT 2:04

दुःखों का पहाड़ जो फतह कर चुका है,
नादान वक्त उस से मज़ाक कर रहा है,
नदियों की तरह ढूंढ लूंगा मैं अपनी मंजिल,
एक समंदर मुझ से रास्ता मांग रहा है।

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