माँ (part-2)
यूं तो दुनिया के लिए बड़ा होगया हूं
मै पर मेरी मां मुझे अभी भी नन्हा बच्चा बताती है
मेरी तकलीफ, दुख, दर्द, परेशानी
हर मुश्किल आसान हो जाती है
जब मेरी मां मेरे साथ हो जाती है
मां के साथ से परेशानी में भी हिम्मत मिल जाती है
मां मुस्कुरा भर दे तो मानो मुझे जन्नात मिल जाती है
जब कभी सफ़र निकल जाता हूं मां को मेरी याद भी बहुत सताती है
कभी देर रात से मै घर आऊ
तो मुझे डाट-फटकार भी लगती है
गुस्सा जब शांत होता है उसका
फिर वो प्यार से समझती भी है
अगर लग जाए कुछ बुरा उसकी बात का
तो वो मुझे प्यार से मनाती भी है
अखिर मेरी मां है मुझे उदास कहा देख पाती है...
To be continued...-
माँ (part-1)
मां अपनी तकलीफे कहा दिखाती है
बच्चो का पेट भर के खुद भूखी रह जाती है
हल्का सा जो मैं बीमार पड़ जाता हूं
वो मेरी चिंता में रात भर जाग जाती है
वो मां है अपनी तकलीफ कहा दिखाती है...
तकलीफ में जो मैं होता हूं ,
मुझे देख कर उसकी भी तो आंख भर आती है
खुद बीमार रहती है ,
पर उसे खुद से ज्यादा मेरी चिंता सताती है
वो मां है आपनी तकलीफ कहा दिखाती है
To be continued...-
पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालो को क्या पता,
रोने वाला किस कदर रोया है,
ये तो बस वही जान सकता है,
मेरी तनहाई का आलम,
जिसने जिन्दगी में आपनी मोहब्बत को खोया है..-
चिकनी चुपड़ी बात छोड़ कर
सीधा लिखने का आदी हूँ..
भगवा रंग में रंगा हुआ मैं कट्टर हिन्दूवादी हूँ.!— % &-
Adhura ishq ( part-4)
क्या कहते क्या सुनते मानो पागल से हम हो गए हैं,
एक साथ वो दो ख़बर मुझे अंदर तक तोड़ गई,
उसके घर वालो ने प्यार या परिवार
चुनने को कह दिया ये ख़बर भी आ गई,
सफर ख़त्म हुआ हमारे साथ का,
अपने अपने रास्ते मुड़ जाएं ये दूसरी ख़बर भी आ गई,
हाथ पैर कांपने लगे मेरे,
मानो मेरी जान निकल ही गई,
भीगी पलकें दोनों तरफ ख़ामोशी ही ख़ामोशी,
मजबूरी में सच्ची मोहब्बत की डोर टूटती गई
कभी रोना मत, हमेशा खुश रहना, ख़्याल रखना,
उस वक़्त मजबुरी में दोनों की जुबां ये भी ना मै ना वो कह पाई,
ओर ना ही मेरी क़लम इससे आगे कुछ लिख पाई..
To be continued....— % &-
Adhura ishq (part-3)
नतीजा दर्दनाक होगा वो समझाती गई,
मैं उनके इश्क़ में अंधा ये बात वो नजरअंदाज करती गई,
इश्क़ उनको भी मुझसे बेहद है वो खुलकर कभी कहती नही,
मगर ये बात उनके फिकर से ज़ाहिर होती गई,
एक-एक दिन मानों त्यौंहार सा गुजरता गया,
इश्क़ की बारिश पा के हरियाली की तरह वो खिलती गई,
फ़िर अचानक से एक आंधी आ ही गई,
जिसका डर था वो हक़ीक़त में कर ही गई,
अभी उससे संभले भी नहीं थे,
जिसका डर था वो दर्दनाक ख़बर भी पल भर में आ गई,
To be continued....— % &-
Adhura ishq (part-2)
साथ छोड़ देंगे दोनों इश्क़ का,
बात अगर परिवार के ख़िलाफ़ हुईं,
ऐसा समझौता दोनों एक दूसरे से करते गए,
ऐसे दोनों आगे बढ़ते गए,
कभी-कभी लड़ाई, झगड़ा, शक, गुस्सा होता था
पर सिर्फ़ दोनों एक दूसरे की खुशियों का ख़्याल रखते गए,
मालूम था ख़्वाब पूरे होंगे नहीं,
फ़िर भी मैं और वो भी ख्वाब देखती गई,
अंजाम की ख़बर दोनों को थी,
फिर भी मै इश्क़ करता गए वो भी करती गई,
मुझ में मेरा कुछ भी ना रहा,
वो भी मेरे इश्क़ में इतना डूब गई,
To be continued...— % &-
Adhura ishq ( part-1)
सिलसिला शुरू हुआ बातों से,
उनकी हर बात दिल को छूती गई,
मै कहता गए वो सुनती गई,
वो मेरे इश्क़ में घुलती गई, में
इश्क़ हों गया था उनको भी,
मगर अंज़ाम का डर था,
मंजिल मिलेगी नहीं,
फ़िर ये शर्त रखी गई,
मुझे मंजिल की तलब नहीं,
अगर इश्क़ सच्चा हो,
ये कहकर वो बेसब्री से,
मेरे जवाब का इंतजार करती गई,
बात उनके दिल को छू गई,
फ़िर दोनों इश्क़ के रास्ते पर चलते गए,
To be continued....— % &-
तुम्हारा न होते हुए भी
सिर्फ़ तुम्हारा होना, इश्क़ है..
तुमसे दूर रह कर भी
तुम्हारे ही क़रीब रहना, इश्क़ है...
उम्मीदें टूट जाने पर भी
सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद करना, इश्क़ है...
तुम पर मरते हुए भी
तुम्हारे लिए ही जिये जाना, इश्क़ है।— % &-
अभी समय खराब है मेरा इसलिए मौन हूं...
थोड़ा सबर करो समय ही बताएगा मै कौन हूं..।।— % &-