Avika Singh   (Avika)
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Joined 31 August 2020


Joined 31 August 2020
20 JAN 2023 AT 12:43

है,
खोकर अना को,
किसी को पाना,
और उसके लिए,
फ़ना हो जाना ||

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14 SEP 2022 AT 16:49

कभी सोचती हू कि,
तुम्हारे इश्क में,
मैं अल्हड़ हो जाऊँ,
तो कभी सोचती हू कि,
तुम्हें पसंद है चाय मुझसे ज्यादा,
इसलिए तुम्हारी चाय का,
मैं कुल्हड़ हो जाऊँ |

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14 SEP 2022 AT 16:22

मुझे इश्क तुमसे चाय सा है,
कितनी भी धूप या गरमी हो ,
तलब इसकी कम नहीं होती |

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14 SEP 2022 AT 16:18

अब इसे आदत कहे, नशा कहे या इश्क कहे,
कॉफी कितनी भी अच्छी हो,
करार कुल्हड़ की चाय से ही आता है |

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28 AUG 2022 AT 23:13

Your memories,
The more I get trapped.

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26 AUG 2022 AT 15:53

बेआवाज़ बेहतर है,
ना कहना किसी से तुम,
मेरा सरताज बेहतर है,
हासिल नहीं हर एक को,
मोहब्बत सच्ची 'सांझ',
जो है हासिल तुझे तो,
जगजाहिर ना कर,
न हो आम रहे बस तेरा ही,
ये खूबसूरत एहसास बेहतर है,
गुंजे जो खामोशी से,
वही इश्क-ए-साज़ बेहतर है,
मोहब्बत की आवाज़
बेआवाज़ बेहतर है|

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26 AUG 2022 AT 15:24

बेआवाज़ बेहतर है,
यू तो सरमाये बहुत हैं ,
पर मेरे लिए मेरा,
सरताज बेहतर है |

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25 AUG 2022 AT 1:57

'A' and 'Z'


Although
'A' is the first
And
'Z' is the last ,
On the imaginary alphabet tree,
Farthest from each other,
But still connected via roots,
They proves that,
Distance doesn't matter
in FRIENDSHIP.

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22 AUG 2022 AT 2:58

नाचये गए,
बहला न पाए एक अपने ही दिल को,
बाकी सबके मन,
सुनाकर किस्सा हमारा बहलाये गए,
वो लोग क्या शिकवा और शिकायत करेंगे,
जो अपने से ही छले और छलाये गए,
यकीनन रंगमंच ही है ये दुनिया,
तभी तो तमाशा देखकर मुस्कुराते हुए,
गए अपने भी और पराए गए,
हो गया मन भी काठ का,
होकर मौन हम कठपुतली का,
हर किरदार निभाये गए |

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22 AUG 2022 AT 1:46

यूं लगा के जैसे उनकी दीद से,
मेरी ईद सी हो गई थी,
इक तिलिस्म में उलझी थी मैं,
सुलझी तो उनके फ़रेब की भी,
मैं मुरीद सी हो गई थी |

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