बे-कसूर थी वो कोई कसूर ना था उसका,
एक मज़बूरी थी मेरे दोस्त;
नई तो मैं होना ज़रूर था उसका!
याद आज भी चल रही है;
घड़ी की सुईंयों की तरह,
जो होता उसकी जात का;
मैं होना ज़रूर था उसका!!
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हाँ माना तुम ना मेरी ज़िन्दगी।
और... ना ही हांथों की इन लक़ीरों मे हो,
लेकिन......
यक़ीन मानो मेरी जान तुम जहाँ भी हो; जान से भी ज्यादा महफूज़ हो 💝-
सुना है!इस इश्क़ मे,
तबाह हो जाना है;
आप से तुम, तुम से जान;
फिर जान से अनजान हो जाना है!!
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जिसे दिल से चाहो वो मिले,
ये ज़माने की फितरत में नही!
खैर....
आज अरसों बाद उसे जी-भर के देखा;
जो किस्मत में नही!!-
कुछ अपने भी अहसास हुआ करते थे!
जबसे तुम जुदा हुई,
मानो किस्मत हमसे ख़फ़ा हुई;
ज़िन्दगी आज भी बेरंग है,
इक तेरी यादें हैं; शेष बची हुई!!-
ज़िन्दगी में;
जो दो पल के लिए आते हैं,
और मिठास ता-उम्र की दे जाते हैं!!-
जो चंद पलों के लिए आते हैं;
और मिठास ता-उम्र की दे जाते हैं!!-
जो कुछ पल के लिए आते हैं;
और कप☕️की तरह ज़िन्दगी भी सूनी करके चले जाते हैं!!-
शायद इसी को कहते हैं,
बेरुखी-ए-ज़िन्दगी...!
थम-सी गई है ज़िन्दगी;
एक तेरे गुज़र जाने के बाद!!-
जिसे पा नही सकते....
उसे याद करके ख़ुश होना भी;
इश्क़ से कम नही!!-