लोग विकट समय में
इंसान को बहरुपीया और जोकर समझते हैं-
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हावचेत रइजो भायां
काळजे मे बसियोड़ी बातां
अर काळजे में चुबयोड़ा तिर
होरे हास बारे नी निकळे-
हौसला अगर कायम हैं,
तो स्थित चाहे कितनी हि विपरीत क्यो ना हौं,
मंजिल मिल ही जाती हैं-
माता पिता साथ हैं तो, रोजाना धनतेरस
संगिनी (हमसफ़र) साथ हैं तो, रोजाना रुपचौदस
बच्चे साथ हैं तो, रोजाना दिपावली
Happy Dhanteras,-
कसाई कैसा भी हो उसके हाथ नहीं कांपते है,
बकर🐐 कसाई
लकड़ 🪵कसाई
कलम ✍️ कसाई-
क्योंकि
इधर उधर करनें वालों कि बातों में आकर
प्रभु श्रीराम नें भी
माता सिता जी पर शक किया थां।-
बाबोसा ,
“ खाती को छोलेड़ो और भाई को बोलेड़ो ,
आल्ला में बास्ते लगादे।-
नेड़ी होवे नौकरी,
हंसमुख हो घर नार,
नीच पड़ौसी नहीं मिलें,
मिले न घाती यार,
प्रीत भरयो प्यालो मिलें,
तो नैया अपरम्पा,-
खेता थांरों वो हेत कठे
गौमाता रो वो प्रेम कठे
झालर बाजती वा सांज कठे
वा गौधुली वेळा री गुलाल कठे
मिनख मानवी सब भुल गया
गौमाता आपरी अपणायत कठे-
हिल मिल सब साथीड़ा टेक राखज्यो
गौवंश दुखी हैं इणरी सेवा करता लारे मत हरक ज्यो
माना बिमारी गहरी हैं
पण आपा जागा तो जरुर बैड़ा पार लगावां
सांवरो तो रुठयो है नि जाणे काई काई नाच नचाई
इण बिन बोल्या वंश ने क्यो दुख देवें
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