रोज़ कहता हूं भूल जाऊंगा उसे,
बस यही बात भूल जाता हूं मैं ।।-
Single, educationist and Nature lo... read more
जिनको बताया हमने सारे ज़ख्म थे,
चलिए कोई नहीं, ये एक और ज़ख्म भी,
उनके दिए थे ।
-
तेरी आंखों के स्याह एक सिरहाना हमें भी मिला होता,
अगर... तूं हमें मिला होता।
ऐसा नहीं कोई और तुझ-सा तुझसे बेहतर मिला नहीं,
काश... उसमें तुझ-सा मिला होता।
गर ख्यालों में खोया मिलूं, वो सारे दर्द तुझसे मैं बयां करता,
और... वो ज़ख्म, जो तुने दिया होता।
ना जाने पुछते आज भी जागी क्यों मुझसे एक सवाल,
क्यों... वो हमसे ना मिला होता..
काश... वो हमें ना कभी मिला होता ।।
-
तुम्हे मिलेंगे लोग कई,
मुझे मिले सिर्फ तुम्ही,
तुम्हे हर गलती की माफी मिली,
मुझे ना मिला एक सफ़ाई कोई ।।-
वो हर दुआ में हमसे दूर जाने की दुआ मांगते रहे,
हम हर दुआ में उनकी दुआ कबूल मांगते रहे,
फिर भी ना जाने कौन सी अधुरी ख्वाहिश रह गई उनकी,
जो आज दूर होकर भी हमारे हर कविता की रूह बनते रहे ।।-
तुम राज हो अनकही मेरी,
मेरे ख्वाबगाह बनोगी क्या ?
मैं हुं शाम-ए-चीराग सा जलता हर रोज,
तुम समां -ए-परवाने सी रौशन करोगी क्या ?
मैं अक्सर खामोश हो ठहर जाता हूं,
तुम इनमे दबी चीख मेरी सुनोगी क्या ?
और ये सब छोड़ों सिर्फ एक बात कहो,
मेरे गुमनामी में मुझे थामे रहोगी क्या ?
कभी समझा पाऊं तुम्हें अपने बारे में,
तुम अकीदत हमारी बनोगी क्या ?-
“राधा रानी”
अधुरी मोहब्बत कि मुकम्मल कहानी है वो,
श्री कृष्णा कि पहले भी, उनके बाद भी है वो,
अदृश्य बंधन में बांध, अदृश्य स्नेह से वो,
पवित्र रिश्ते की नींव, राधा रानी हैं वो ।।-
इन आंसुओं से बने रिश्तें को,
एक नया नाम देते हैं,
आज अल्फाजों से नहीं,
खामोशियों में तेरी बातें करते हैं,
न जाने गुम कहा हो गए इस भीड़ में
जो दिल में रहते थे कभी,
आज आंखों से बहे जाते हैं ।।-
हर राज़ का मेरी समुंदर हो तुम
ना जाने किस ओर जाओगी वो नदी हो तुम
हम ठहरे रह गए उन किनारों किनारों कि तरह
जिन्हें कभी छूं कर तो कभी मोड़ कर गीले कर देती
हो तुम-
माना कि मना किया है तुमने,
तुम्हारी बात मानने कि मर्जी भी मानी है मैंने,
ना जाने क्यों अपने को नहीं समझा पा रहा मैं,
कि क्यों ऐसी अर्जी मांगी है तुमने ?
जो सोचा था ऐसा हुआ ना हमारे,
इन राहों को छोड़ा हमने अब खुदा के सहारे,
तुम्हे कैसे बताएं कि हमारे दिल में है क्या ?
तुम धड़कन थी हमारी, हम जीने लगे थे ,
“तुम्हारे सहारे”-