गुमराह इतना किया गया हूँ
नज़रें इश्क़ की भी पर्दा कर देती हैं।— % &मसला मेरी नींद का समझ नहीं आता
आपके जाते ही अभाव में आ जाती हैं।— % &दरकिनार ही सही, आपसे तो टकराए
भीड़ से बच निकलने की आदत पुरानी है।— % &ये ज़माना तो कुछ भी बातें करता है
बातें तो आपके ज़माने की अलग होती है।— % &मुझे इतना उलझना क्यों पसंद है?
जवाब झुल्फों से सुलझते हुए ही मिल जाना था।— % &-
yq is home. im homeless
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