Avdhesh Tiwari  
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Joined 25 November 2019


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Joined 25 November 2019
26 JUL 2023 AT 21:23

🇮🇳 #शौर्य_और_सूरज

आज तो आँखों में गुज़ार दूंगा, इस रात से मेरा वादा है माँ!
कल बस तू होगी और तेरी ये गोद !
आज बस मुझे नज़र रखने दे तेरे मान के कातिलों पर,
कल बस मैं हूँगा और वही सेज़ !

आज और बस तू अपने लाल की खातिर दुआ कर,
कल बस तू होगी और तेरे साये में मैं!
आज एक निवाले को मुंह का सफर कुछ दूर लगा हो
कल बस मैं हूँगा और लह–लहाते तेरे खेत !

आये कोई भी सुनहरे झोंके, बस आज न हटूंगा,
डटा हूँ यूँ ही, पुरजोर डटूंगा …
आज थोड़ा मुझपे ये कर्ज़ रहने दो,
कल तू होगी और मेरा हर्ष !

मेरी तकदीर को तेरे इस काम से सँवार दूंगा …
आज तो आँखों में गुजार दूंगा, इस रात से मेरा वादा है माँ !!

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1 JUL 2023 AT 12:49

#सुकून_और_खुशी

सुकून, खुशी से जुड़ा भाव है।
मन से खुश हो तो भीड़ में भी सुकून है,
और मन से दुःखी हो तो
झरने, नदी, पहाड़ और वादियां
कहीं कोई सुकून नहीं।

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16 JUN 2023 AT 22:56

यूं ही दिख जाती हैं खूबियां आजकल,
मुझे जश्न – ए – बहार में।
लगता है अंदर का बच्चा मुझे,
कुछ नया सिखाने की फ़िराक में है।

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15 JUN 2023 AT 17:03

किसे अपना कहोगे,
इस बेगानी दुनियां में,
किस से अफसाना कहोगे,
इस अनजानी दुनियां में।

जिसे चाह रहे हो,
खुशियां जहां की देने दुनियां में,
क्या है कोई तुमसा,
तुम्हारे लिए, .. इस दुनियां में?

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14 JUN 2023 AT 22:46

क्या ही तरीके लगाए हैं 'उसने' तुम्हें बताने के,
कभी गरज बरस, पतझड़, तो कभी धूप छांव में,
जब वक्त सब का ही बदलना है कभी –
तो तुम क्या सोचके परेशान हो? ... जियो।

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18 MAY 2023 AT 5:50

कोई आपके लिए तब तक ही अच्छा है,
जब तक वो आपके कहे मुताबिक़ चले।
अगर नहीं तो ...
आप उसके प्रति मौसम से बदल जाते हो।
सोचो – क्या आप किसी के कहे मुताबिक चलने में,
हमेशा आनंदित रहते हो?
यदि इसका जबाब ‘हां’ है,
तो आप खुदसे भी झूठ कहने के आदी हैं।

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7 MAY 2023 AT 22:58

तमाशे कर रही है जिन्दगी,
तुम्हें पता तो है।
उम्र बड़ रही है दिन–ब–दिन
और घट रही है जिन्दगी,
तुम्हें पता तो है।

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11 JAN 2022 AT 14:07

#आईना देखा है या नहीं ...

हम चल तो आए हैं घर से मगर,
आईना देखा है या नहीं ...
हर रोज़ सोचता हूं कर गुजरूं कुछ मगर,
इक कदम भी वहां बढ़ा या नहीं ...

मैंने मेरे अहम को घर बांध छोड़ा था मगर,
बातों में आड़े आएगा या नहीं ...
दोस्त कितने थे, साथ होंगे कल मगर,
संग चलने का वादा था या नहीं ...

कितने किस्से हर रोज सामने होते हैं मगर,
किससे फ़र्क पड़ता है या नहीं ...
हम ज़माने को छोड़ चले उनकी कश्मकश में,
ज़माने का कुछ बिगड़ता है या नहीं ...

हम चल तो आए हैं घर से मगर,
आईना देखा है या नहीं ...
हर रोज़ सोचता हूं कर गुजरूं कुछ मगर,
इक कदम भी वहां बढ़ा या नहीं ...

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13 DEC 2021 AT 21:56

जिंदगी को धुएं में उड़ाते हो,
चंद कदमों में लड़खड़ाते हो।
तुम ही जरिया हो अपनी कामयाबी का,
इसका एहसास नहीं है तुमको।

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8 DEC 2021 AT 15:43

आजकल गुस्सा बड़े ही आम करता हूं,
सोचके यही, वक्त जाया –
गलतियां तमाम करता हूं।
मैं ... मैं हूं, कोई ख़ास नहीं,
खुदको बदलने की कोशिश –
यूं ही नाकाम करता हूं।

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