उदकं हि प्राणिनां प्राणः प्राणायोजनमप्युत।
तस्मात्सर्वप्रयत्नेन रक्ष्यं जलमविक्षतम्॥
अर्थ:
जल ही प्राणियों का प्राण है और उनका उपयोगी साधन भी। इसलिए हर प्रयास से जल को सुरक्षित रखना चाहिए।-
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वृक्षाणां रोपणं कुर्यात् पुंसां साधुसमागमे।
यथादुष्कर्मणां लोके तत्तदानीं फलप्रदम्॥
अर्थ:
सज्जनों की संगति में वृक्षों का रोपण करना चाहिए, क्योंकि जैसे बुरे कर्मों का फल मिलता है, वैसे ही वृक्षारोपण का फल भी उत्तम होता है।-
मेरा कुछ भी लिखना दो पल,
तुमसे बात करना होता है..!
अपने शब्दों में पुकारना,
तुम्हे याद करना होता है..!
शब्द तब शब्द कहाँ रहते हैं,
मेरे शब्दों मे,
सिर्फ तुम्हारा नाम रहता है..!
मेरा कुछ भी लिखना,
सिर्फ तुम्हे लिखना होता है..!!-
ऐसा क्या बोलूं कि तेरे दिल को छू जाए,
ऐसी किससे दुआ मांगू कि तू मेरी हो जाए,
तुझे पाना नहीं तेरा हो जाना है मन्नत मेरी,
ऐसा क्या कर दूं कि ये मन्नत पूरी हो जाए।-
तुम मुझे अब मेरी ज़रूरत लगते हो,
ख़ुदा की नेमत उसी की मूरत लगते हो,
खूबसूरत हो इसलिए पसंद नहीं करते..
पसंद हो इसलिए खूबसूरत लगते हो…
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ज़िंदगी का ये सफ़र,
तुम आए आदत लगाई,
और सपनों की तरह पल भर मे खत्म ।-
वजह कोई भी हो ,
हम तुमसे दूर नही रह सकते,
तुम हमें समझ नहीं सकते,
और हमारी मजबूरी तो देखो
हम कुछ बता नहीं सकते।-
जो हम चाहे हमारे पास क्यों नहीं होता,
ज़िंदगी के उस मोड़ पर ही ऐसा क्यों होता,
जहा एक ओर हर खुशी और हमारे पास आसू के सिवा कुछ नहीं होता।
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वज़ह दिल बहलाने की कोई भी हो सकता है,
मगर इश्क़ रूहानी हर किसी के बस की नहीं,
वज़ह मोहब्बत कि कोई भी बन सकता है,
मगर वज़ह सुकूँ कि कोई एक ही बन सकता है-
सवाल के अंक ऊपर नीचे हो जाएंगे,
क्या मोल लगाओगे अपनी मां की ममता का,
क्या चुका पाओगे अपने पिता के जिंदगी भर के दर्द का कर्ज़,
क्या कर पाओगे हिसाब अपनी पत्नी के मकान को घर बनाने का,
रिश्ता मैं गणित मत लगाओ,
सब कुछ चला जायेगा तुम फिर भी कर्ज में रह जाओगे।-