Avadhesh Srivastav   (मेरे शब्द ✍️)
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लकीरो के भरोसे मत रहो लकीरो को अपने दम पे बदल डालो।
जिंदगी ये हार है इसे जीत में बदल डालो।
Joined 25 March 2019


लकीरो के भरोसे मत रहो लकीरो को अपने दम पे बदल डालो।
जिंदगी ये हार है इसे जीत में बदल डालो।
Joined 25 March 2019
10 MAY AT 21:06

ये आज कल के बच्चे खुद को क्या समझते है,
खुद को बुद्धिमान बड़ों को बेवकूफ समझते हैं,
इन्हें देख गुस्सा कम तरस ज्यादा आता है,
उजाले की तरफ सोच अंधेरे में इनका पैर चलता जाता है,
कोई समझाए तो उन पर हंसते और मजाक बनाते है,
बिना खुद के बारे में सोचे बेकार के कामों में अपना दिन बिताते है,
सोचता हूं न बोलूं भविष्य खराब करने दूं,
आधे घंटे के वक्त को ऐसे बर्बाद करने दूं,
पर अंदर का अध्यापक मेरा खुद मुझे धिक्कारता है,
एक बार समझा तो दो कहकर मुझे ललकारता है,
समय तुम्हारा ऐसा है कि किस्मत खुद की लिख सकते हो,
बाकी तो मर्जी तुम्हारी तुम सोच भी खुद सकते हो।

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9 JUN 2024 AT 7:44

साथ होने से तेरे खुद पर
ग़ुरूरआ रहा है,
तेरे लिए मेरा प्यार
बढ़ता ही जा रहा है,
तेरा हक़ जताना मुझे
और करीब ला रहा है,
तेरे लिए मेरा प्यार
बढ़ता ही जा रहा है........

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6 APR 2024 AT 0:18

खुद को गवां कर
इस जग में जी रहा हूँ,
कौन था मैं और कौन
अब बन गया हूँ,
परिचय भुला के खुद की
दुनिया मे खो गया हूँ,
खुद का रहा नही मैं
दुनिया का हो गया हूँ।

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30 MAR 2024 AT 23:27

दिल का अँधियारा बाहर निकल कर आ गया,
एक-एक दुःख तारा बनकर आसमाँ में छा गया,
मानो वो बतला रहा टूटा हूँ मै अंदर से,
दुनियाँ से हॅस कर मिलता रोता हूँ मै भीतर से,
पर फिकर ना फिर भी कोई जैसा चलता चलने दो,
एक-दो जो बच गये हो वो भी दुःख मुझको दें दो।

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7 MAR 2024 AT 7:33

थोड़ी देर बिन बोले ही बैठ जाये,
सुकून के पल को लफ्जों पर ना लाये,
बस महसूस करे एक दूसरे को दिल से,
बिन बोले ही सारी बातें समझ जाये,
क्यूंकि बोलने से शायद प्यार का मोल ना मिले,
पर ना बोलने से हम एक दुज़े के हो जाये।

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27 FEB 2024 AT 11:28

वक़्त तू ज़रा हालातों को
समझना सीख ले,
अंदर के जज़्बातो को
समझना सीख ले,
जहाँ इंतजार वहाँ
कुछ जल्दी आया कर,
ठहरने का दिल करे तो
थोड़ा तू भी रुक जाया कर,
इतना क्या ही मेरे खुशियों से
खेलने का शौक चढ़ा है,
अपने मन से करता है ऐसा
या किसी का खौफ चढ़ा है।

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23 FEB 2024 AT 22:23

गुलाब दिए थे जो तुमको अब तो सुख गए होंगे,
पंखुड़िया एक-एक कर करके सारे टूट चुके होंगे,
होंठो को एक बार लगा दूँ तुम्हारे इन गोरे गालो से,
एक बार नए गुलाब लगा दूँ आ जाओ तुम्हारे बालों में।

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23 FEB 2024 AT 22:23

गुलाब दिए थे जो तुमको अब तो सुख गए होंगे,
पंखुड़िया एक-एक कर करके सारे टूट चुके होंगे,
होंठो को एक बार लगा दूँ तुम्हारे इन गोरे गालो से,
एक बार नए गुलाब लगा दूँ आ जाओ तुम्हारे बालों में।

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20 FEB 2024 AT 7:30

मतलब नहीं कोई भी शिकायत करूँ,
अब बस तुम्हारी सुनूं और हामी भरूँ,
उम्मीदों की मंजिल से नाते तोड़ लिए है,
इसीलिए शिकायतें करने छोड़ दिये है।

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18 FEB 2024 AT 21:51

जी रहा हूँ मगर मृत शरीर हो गया हूँ,
दुःख के हाथों खींची लकीर हो गया हूँ,
कुछ है नहीं फिर भी आशा नहीं,
खोकर हर सुख मै तो फ़क़ीर हो गया हूँ।

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