लोग क्याँ कहेगे इसी मैं तो जिदगी गुज़र जाती हैं
आखिरी वक़्त मैं याद आते हैं कुछ अधूरे किस्से,
लेकिन जिदगी तो लोग क्याँ कहेगे इसी मैं गुज़र जाती हैं।-
स्वताः पेक्ष्या ज्यास्त माझ्या आई बाबा वर प्रेम... read more
सब तरफ भीड़ हैं, हम तो इसी भीड़ का हिस्सा हैं,
इस भीड़ मैं हमे हीरे की तरह चमकना हैं,
हमे कुछ अलग करके इस दुनिया को अब दिखाना हैं।-
माना कि जिंदगी का सफ़र आसान नहीं
लेकिन जिंदगी बुरी हैं यह कहना भी जरूरी नहीं,
हमने तो आसान जिंदगी को भी मुश्किल बना दिया हैं
लेकिन इस जीवन से खूबसूरत दूसरा कोई जीवन नहीं।-
कुछ बाते अधूरी ज़रूरी हैं
कुछ किस्से अधूरे ज़रूरी हैं
तो कुछ रिश्ते अधूरे भी जरूरी हैं,
जिंदगी मतलब ही जिंदगी जीना हैं
और जीते जीते एक दिन दुनिया से गुज़र जाना हैं।-
। पुरानी राखी।
हाथ खाली रह गया,एक धागा बांधना रह गया
दूरियांँ इतनी बढ़ गई कि त्यौहार अब वीडियो कॉल पर हो रहा,
याद आ गई पुराने दिनों की वह खत में राखी आती थी
बहना जब तू घर आती थी,तब घर में रोशनी छा जाती थी।
ख़त पढ़कर तब आंसू आ जाते थे,याद बचपन की आती थी
झगड़े याद आते थे,बहना तू राखी के हर वक्त साथ रहती थी,
चुड़ैल पागल ना जाने कितने नाम हम अपनी बहनों के रखते थे
वह राखी के दिन याद आ गए जब हम सब भाई बहन एक साथ राखी मनाया करते थे।
काम में इतना व्यस्त हो गई कि अब व्हाट्सएप पर राखी आती है
पुराने दिनों की बात ही अलग हैं यारो,जब हम सब साथ में हंसते झगड़ते त्यौहार मनाया करते थे।-
। पुरानी राखी।
हाथ खाली रह गया,एक धागा बांधना रह गया
दूरियांँ इतनी बढ़ गई कि त्यौहार अब वीडियो कॉल पर हो रहा,
याद आ गई पुराने दिनों की वह खत में राखी आती थी
बहना जब तू घर आती थी,तब घर में रोशनी छा जाती थी।
ख़त पढ़कर तब आंसू आ जाते थे,याद बचपन की आती थी
झगड़े याद आते थे,बहना तू राखी के हर वक्त साथ रहती थी,
चुड़ैल पागल ना जाने कितने नाम हम अपनी बहनों के रखते थे
वह राखी के दिन याद आ गए जब हम सब भाई बहन एक साथ राखी मनाया करते थे।
काम में इतना व्यस्त हो गई कि अब व्हाट्सएप पर राखी आती है
पुराने दिनों की बात ही अलग हैं यारो,जब हम सब साथ में हंसते झगड़ते त्यौहार मनाया करते थे।-
कभी इस काली रात को भी अपने माँ के आचल मैं सोने दिया करो,
इस भी तो पता चले कि माँ के आचल मैं कितना सूकून मिलता हैं। — % &-
रंगों को भी रंग दो उन्हीके रंगों मैं,
उन्हें भी तो पता चले कि खुद का रंग क्याँ हैं। — % &-
The Kashmir Files
जला दिए घर उनके वो भारत के रहवासी थे
अपने ही देश मैं बेघर हो गए वो कश्मीरी पंडित थे
बेजुबान हूँ मैं मेरे अंदर कश्मीर लौटने की उम्मीद हैं
मेरी उम्मीद को सच बनाने आपको एक दिन कश्मीर आना हैं
पेट की भूक को मुह पर ला नहीं पाए
अपनों की मौत पर आसुओं को रोक नहीं पाए
कपड़े फाड़ दिए थे उसके वो भी तो किसी की माँ थी
पति को मार दिया था बेटे के सामने वो भी तो किसी का बेटा था
लहू से भरा हूंँ आ खाना उन्होंने हमे खिलाया था
भगवान उन्हें आसान मौत मत देना क्युकी उन्होंने कई परिवारो को मार दिया था
सत्य और असत्य की जो लकीरें थी उन्होंने उसे मिटा दिया था
उन्होंने तो असत्य को ही इतिहास मैं अमर बना दिया था...
हम इतिहास पढ़ते हैं, हम इतिहास सिर्फ सुनते हैं
लेकिन उन लोगों पर तब क्या हालात थे वहीं लोग असलियत जानते हैं...
जहा भारत के ऋषिमुनि अपने ग्यान की खोज मैं सदियों तक तपश्चर्या करते थे
उन लोगों ने तो वही भारत वासियों को अपने घर से बेघर कर दिया था...
सच की आवाज़ दबाई जाती हैं,असत्य को जल्दी सुना जाता हैं
कोई आता हैं सत्य को सुनाने तो उसे मार दिया जाता है...
हम श्री राम की भूमि भारत देश के रहवासी हैं
हमारी आवाज दबाने की कोशिश मत करना हम अखंड भारत के रहवासी हैं... — % &-
अभी तो मैंने चलना सुरु किया हैं,अभी तो मेरी दौड़ बाकी हैं
फिसलकर गिर जाऊँ कहीं तो उठा लेना क्युंँकी मेरा खुले आसमान मैं उड़ना बाकी हैं,
एक दिन पंख काट देगा कोई तो वापस लौट आऊंगा जमीन पर,
क्युंँकी मुझे इसी ज़मीन मैं दफनाना बाकी हैं। — % &-