माँ जब तुझे छोड़, मैं शहर आया,
मेरी सारी घमंड चकनाचूर हो गई।
गुस्सा जो सदा मेरे नाक पर थी,
ना जाने कितने कोश दूर हो गई।-
Do follow me and get a follow back within ... read more
जिने का एक नया तरीका सीख लिया हूँ,
गम में भी खुशी की कविता लिख लिया हूँ।-
कहने को हज़ारों लोग हैं मेरे साथ, पर संक्षिप्त में कहूँ तो वे केवल एक भिड़ हैं।
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अपने माता-पिता के ख़िलाफ़ में
कभी खुश रह नहीं पाओगे
दर्द तो होगा मगर
कभी किसी से कह नहीं पाओगे-
इस कड़ोड़ो के भीड़ में
मैं सबसे अलग दिखने निकला हूँ
कुछ कागज़ और स्याही लेकर
मैं किताब लिखने निकला हूँ-
जब लोग साथ छोड़ते हैं तो सिर्फ़ विश्वास टुटता है लेकिन जब अपने ही साथ छोड़ देते हैं तो पूरा इंसान ही टुट जाता है।
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तुझसे मिलने का मन है मेरा
भले मैं तुझसे दूर रहता हूँ
अपने दुःख-सुख जरूर कहता हूँ
तुझसे कहे बिना रहा नहीं जाता
दु:ख इतनें बड़े हैं, अकेले सहा नहीं जाता
फ़ोन पर ही तेरी ममता पा लेता हूँ
अपने हाथों से ही अब खा लेता हूँ
कमज़ोर तो हो गया हूँ मैं
क्या करूँ? पढ़ाई में खो गया हूँ मैं
तुझसे मिलने का मन है मेरा
सदा साथ रहेंगे, अब आएगा वो सवेरा?
अब मुझसे इंतज़ार नहीं होता है
तुझे छोड़कर किसी और से प्यार नहीं होता है
तेरे हां कहने से, आज ही आ जाऊँगा
जो भी रोकेंगे मुझे, मैं सबको समझाऊँगा
बस तेरे हां कहने की देर है
अन्यथा तरीके तो ढ़ेर हैं
© Niraj Yadav 🇮🇳
(Motihari: Bihar)-
तुझसे मिलने का मन है मेरा,
सदा साथ रहेंगे, कब आएगा वो सवेरा...?-