Audichya Mayank   (मयकश)
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बुनता हूँ भवनाओं को
Joined 21 January 2017


बुनता हूँ भवनाओं को
Joined 21 January 2017
1 JAN 2018 AT 0:33

तुम गंगा की धारा जैसी कलरव करती रहती हो,
संस्कृति की चुनरी फिर भी सर पर ओढ़े रखती हो।
तुम गंगा की धारा जैसी ........

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30 DEC 2017 AT 0:29

अभी रहने दो बेसब्र ही अपने सब्र को कि और आगे जाना है,
अभी और कई मन्ज़िलों को तुम्हें मन्ज़िलों तक पहुँचाना है।

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29 DEC 2017 AT 23:58

हमसे किसी ने कहा, मुझ से दूर जाकर खुश हो न ?
हमने किसी से कहा, खुद से दूर जाकर खुश हूं ! न ।

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28 DEC 2017 AT 23:09

मैं हर बार तुमसे कहता हूँ मुझे ज़मी पर छोड़ दो,
तुम हर बार मुझको ज़मीं से जोड़ देते हो।

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28 DEC 2017 AT 22:41

हम से किसी ने कहा ,हमसे दूर जाकर खुश हो न,
हमने किसी से कहा , तुमसे ? दूर जाकर खुश हूँ ! न ।

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15 DEC 2017 AT 0:38

"उसने कहा था उसके लिए"


उसमें अकिंचन सौंदर्य का प्रतिमान था,
गर्वित थी वो किंतु न ज़रा भी अभिमान था,
अनछुई ओस की बूंदों सी थी वो उषा की,
किसी के लिए उसमें न कोई कलुषा थी।


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1 NOV 2017 AT 0:21

तुम खुद जल जाओगे ,मुझे जलाने की कोशिश मत करना,
तुम मर जाओगे , मुझे मारने की कोशिश मत करना,
मेरी यादें तुम अपने दिल के सिकहारे पर रखना,
तुम दफ्न हो जाओगे ,उन्हें दफनाने की कोशिश मत करना।

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21 OCT 2017 AT 2:21

सबक किताबों ने हमको बहुत पढ़ाये थे बेशक,
पर ज़माने ने हमको बहुत सबक सिखाये हैं,
सबक किताबी भूल न जाएं हम कहीं इसीलिए जमाने ने,
सबक हम पर आज़मा कर,सारे सबक याद दिलाये हैं।

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20 OCT 2017 AT 3:48

मन हुआ है आज मेरा तुम्हारा मन पढ़ा जाए,
मेरी नासमझ नज़र से आज तुमको समझा जाये।

~~मयकश~~

Read in caption below.........

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19 OCT 2017 AT 15:18

तुमसे टूटे तारों को मैं पुनः जोड़ ही लूंगा,
जो उल्टी बहती हवा है ये मैं इसको मोड़ ही लूंगा।

मैं घोर देहाती लड़का हूँ,
मेरी कोई पहचान नही,
ये प्यार व्यार क्या होता है,
मुझको इसका भी ज्ञान नही,
तुम मेरी बस मेरी ही हो,
इसका भी कोई अभिमान नही,
तुम पहले मेरी हो तो लो,
मैं बाद तुम्हारा हो जाऊंगा।
तुमसे टूटे तारों को....

~~मयकश~~


Read in caption.......

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