Aucty   (Aucty)
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connecting the dots...
Joined 16 July 2024


connecting the dots...
Joined 16 July 2024
13 AUG AT 20:38

बिखरे लफ़्ज़ों को मैं समेटूं कैसे,
अधूरेपन के दर्द से बहते आंसू मैं रोकूं कैसे?

कहना तो बहुत कुछ चाहती हूं,
पर शुरू करूं तो करूं कैसे?


ये मेरे रूठे मन की तस्वीर है,
मत पूछना तुम क्यूं ओर कैसे?

नासमझ समझूं मैं और ये समझो तुम,
कभी न समझो तुम मुझे,पर समझे गर तुम,
तो मैं सोचूं की क्यूं और कैसे?


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5 AUG AT 13:28

I am still holding my breathes,
I am still holding the heartbeats,
Hugged my pillow so tightly yesterday

Got a message from an old friend on friendship day,
who was not in the contactlist though,
I just holded, what I was going through,
I never thought of connecting back to you,
even when everyday,I recalled you,
I am still confused with my reaction...

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4 AUG AT 23:23

why were the tears in my eyes yesterday?
why I hanged with the memories yesterday?
No far,I thought of your comeback,
I never wanted to see anyone from my past,
if it was you, too..

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3 AUG AT 22:29

मुलाक़ात...
जो तुम्हारे साथ बैठ के गुफ्तगू शुरू कर दी,
मौसम ने भी जहां में खुशबू भर दी,
वो दिन क्या तुम कभी भूल पाओगी?

बादलों से शुरू हुई हमारी बातें,
जहां सिर्फ मै और तुम थे आते जाते,
फिर हमारी besties वाली memories,
और जो photos से भरे हमने अपने galleries

शाम जब मंदिर में बैठ हमने इतनी मस्ती करी,
गार्ड भैया को आके हमे रोकने की जरूरत जो पड़ी,
फिर अपने पुराने taste की आजमाइश,
अरे हां भाई! वही गोलगप्पे खाने की तुम्हारी ख्वाहिश,
फिर गाते मुस्कुराते हमारा ऑटो का इंतेज़ार करना,
और लेट घर जाके खूब सारी डांट का शिकार बनना

फिर अगले दिन मेरा तुम्हारे घर से जाना,
और तुम्हारा मुझे स्टेशन तक छोड़ने आना,
कितनी सारी यादें समेट के आई मैं,
वापस उन तस्वीरों को देखकर बार बार मुस्कुराईं मैं !

-Aucty


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3 AUG AT 19:44

दोस्ती...
नाराजगी या मोहब्बत,क्या जाहिर करूं,
तुम्हारे छोटी-से ड्रामे से भी मैं कितना प्यार करूं,
हां!झगड़ लेते हैं कभी कभी,
पर बिन मनाए रह भी तो नहीं पाते,
रूठना मानना तो चलता ही है न,
अब इतने गहरे दोस्त भी तो है न

तुमसे फिर कब मिल पाऊंगी ,
या तुम मुझसे कब मिलने आओगी,
ये सवाल हमेशा बेचैन करेगा,
पर अब अफसोस कम रहेगा,
यादें जो इतनी बनाई हैं,
तस्वीरें जो इतनी सजाई हैं,
उनको देख के ही उनमें जीना हो जाता है अब मेरा,
जो तुम्हारे नखड़े,ड्रामें और नौटंकी से भरे हैं ..


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30 JUL AT 19:21

आज कैसे जाहिर करूं ,
कैसे शब्दों से,आंखों की गवाही कैद करूं?

घने बादलों का आसमां में चमकना,
और नीचे हवाओं से पत्तों का सरसराना,

उस बेंच पे बैठे जोड़े का मुस्कुराना,
कांधे पे सिर रख उसकी अपनी बातों को सुनाना,

नज़्म हवा के झोंके का मुझे छूकर गुजरना,
हौले हौले से फिर मेरा गुनगुनाना शुरू करना,

यही सब सोच विचार करना,
ओर बस यूं ही एक ओर पेशकश लिख जाना...


-Aucty







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27 JUL AT 18:54

बादल...

धरा को बरसती बूंदें लाता है,
ओर मेरे लिए सौगातें लाता है,
उदास बैठे मेरे दिल को मुस्कुराहट दे जाता है,
सिर्फ आने का एहसास देकर ही मेरी बेचैनियों को ले जाता है..

जज़्बाती दिल, फिर और जज़्बाती होने लगता है,
बरसती बूंदों के साथ नए एहसासों में सिमटने लगता है,
कभी-कभी तो टूट कर बिखरने भी लगता है,
आसमां से गिरती बूंदों-सा आंखों में आंसू भरने लगता है,
फिर अपने नज़्म से स्पर्श से मुस्कुराहटों को चेहरे पर छोड़ जाता है,
तो इन बरसातोंं से पहले उदास होना भी अब अच्छा लगता है...

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27 JUL AT 12:13

समझना ओर समझाना...

समझाना मेरे हिस्से में था
जो तुमने समझा वो किस्सा बन गया

जज़्बातों का संगम सिर्फ क्या मेरे हिस्से था?
अधूरे अल्फाजों को भी तुमने किस्सा कह दिया

मनाने का हिस्सा मेरा
ओर रूठने का किस्सा तुम्हारा

तुम्हारी तस्वीरों में हिस्से मेरे
आधा आईना मेरा, और पूरा किस्सा तुम्हरा...


ये सब तो बस मेरे ख़ाबों के हिस्से में है
ये मोहब्बत तुमसे जो मेरे किस्से में है

-Aucty

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26 JUL AT 19:42

एक अरसे से तलाशना
तस्वीरों से बातें खयालों से मुलाकातें
न जाने ही कितनी कर रही हूं

एक इंतजार करना
लफ़्ज़ों में जज़्बात आंखों में आंसू
न जाने ही कितने भर रही हूं

एक सफर में बढ़ना
दिन का ढलना रातों का कटना
न जाने ही कितना लड़ रही हूं



अरसे की तलाश जारी है
सो इंतेज़ार के पल भी बाकी हैं
और सफर में मेरा बढ़ना
या मुझसे सफर का

ये एक एक लम्हे का गुजरना है...

-Aucty

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15 JUL AT 18:33

दो अल्फ़ाज़ इश्क़ के...
कभी अधूरे तो कभी हो पूरे से

पूरे से हो इश्क न, वो एकतरफा है,
जो अधूरे हो, वो इश्क बेपनाह है !

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