आप सब से अनुरोध है कोई भी रिश्ता फॉर्मेलिटी वाला ना बनाएं ना फॉर्मेलिटी की तरह निभाए🙏
क्योंकि रिश्तो से उम्मीद बनती है और उससे भावना फीलिंग जज्बात एहसास जुड़े होते हैं..
अगर रिश्ते धागे से बंधते तो मैं बांध लेता इस पूरी दुनिया को.....अगर ऐसा होता तो किसी को किसी रिश्ते की कमी महसूस नहीं होता.......लेकिन लोगों तो...दिल से जुड़ने की बजाए बस रिश्तो की डोर जोड़ लेते हैं..... रिश्ते हमारी जिंदगी जीने का सहारा होते हैं जिनके बिना जिंदगी नहीं जिया जा सकताह है....
हालात परिस्थिति और उसके साथ एहसास रिश्तो की अहमियत को बताता है...रिश्तो में हक.....हो एक दूसरे की खुशी एहसास जज़्बात भावना का ख्याल हो प्यार हो रिश्तो का सम्मान हो....रिश्तो के बनने से नहीं....रिश्तो के एहसास से रिश्तो की कमी पूरी होती है..
🌼रिश्ते और पर्व को फॉर्मेलिटी ना बनाएं 🙏❤
किसी की भावना फीलिंग एहसास के साथ मजाक नहीं बड़ी तकलीफ होती है दिखावे के रिश्ते से..
एक बहन को लेकर मेरे एहसास जज्बात भावना सपने सब अधूरे हैं....इस रिश्ते की कमी मैंने सबसे ज्यादा महसूस किया है...ऐसा नहीं है कि मैंने यह रिश्ता बनाया नहीं कई लोग से लेकिन वह प्यार नहीं मिला.....बड़ी गुस्सा आता है उन सभी फॉर्मेलिटी दिखावे वाले रिश्तो से और उन को अहमियत ना देकर रिश्ते जोड़ने वाले लोगों पर भी जो आपकी भावना जज्बात एहसास ख्वाहिश को रौंद देते हैं🙏🌼😢-
एक भी दिन ना निभा सकेंगे वह मेरा किरदार।।
एक भी दिन ना निभा सकेंगे वह मेरा क... read more
लिखा जाए तो समंदर की तरह बड़ा और गहरा एहसास है जो बयां करना थोड़ा मुश्किल होगा❤
रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्तों का एहसास का बंधन है🌼
रिश्ता ऐसा हो जिसमें हक हो प्यार हो एक दूसरे के लिए सम्मान हो परवाह हो एक दूसरे की खुशी का ख्याल हो रिश्तो में कर्तव्य हो..... एक दूसरे को कभी उस रिश्ते की कमी का एहसास ना हो.....
🌼बहन को लेकर मेरे ख्वाहिश ❤मेरी प्यारी बहन जिस पर मेरा हक हो और उसका भी एक दूसरे से प्यार लड़ाई बोले डांटे गुस्सा करें रूठे मनाए एक दूसरे का ख्याल रखना एक दूसरे को सुलझाना समझाना अपने दुख को बांटना और दूर करना ❤मां की तरह हर धूप का छाया तुम्हारे हमारे एहसास मे हो ........कभी-कभी तुम्हारी भी गोद में रो लेना .....मां की तरह तुझ से भी लंबी बातें करना मां की तरह .....खयाल रखना एक दूसरे का ......अच्छा दोस्त होना.......
एक दूसरे के मन जितना करीब हो💚 हम एक दूसरे के पूरक हो....... एक दूसरे की जज्बात भावना एहसास को समझो और उससे और उसके रिश्ते को अहमियत दो🙏❤🌼
एक दूसरे के एहसास मे सुकून का अभाव हो......
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मैं तुमसे वैसे ही जुड़ चुका हूं जैसे, कोई वृक्ष भूमि से जुड़ा होता है.. तुमसे अलग होकर मेरा अंत निश्चित है...!!!
...तुम्हारा होना ही हमारे लिए मनभावन सावन है। तुम्हारी अनुपस्थिति हमें खुद के बंजर होने का एहसास दिलाती है। तुमसे ही मेरे जीवन के सारे बसंत है। तुमसे ही मेरे सारे उत्सव हैं। तुम्हारे बगैर तो मैं सिर्फ एक अस्तिवहीन शून्य हूँ। जिसका इस चराचर जगत में कोई मोल नहीं।।...
...कभी-कभी मन स्वयं से ही खिन्न हो जाता है.. ऐसा लगता है सबकुछ छोड़कर कहीं दूर पर्वत श्रृंखलाओं की ओर निकल जाऊं.. और फिर उसी रहस्यमयी दुनिया में खुद को अनंत काल के लिए खो दूं...!!
....कभी-कभी बहुत ज़रूरत महसूस होती है कि कोई हो जिससे अपनी दिल की कह सुन सकें, अपनी भावों को साझा कर सकें, परन्तु जब कोई नहीं होता हमें सुनने, समझने वाला..तब अपनी लाचार मन से स्वयं की बेबसी, गहरा अन्धकार, अनिद्रा एवं अपने अंतहीन अकेलेपन से दुःख भरी गीतों के साथ जूझना ही पड़ता है...!!
....मेरी सोच थोड़ा औरो से अलग है.. मैं हमेशा कोशिश करता हूँ अपनी परेशानियों से अकेले ही निपटू.. मैं दूसरों से मदद मांगने से हिचकिचाता हूँ.. मुझे डर लगता है अपने इस मदद को कभी ये अहसान का नाम न दे दे.. इसीलिए मैं खुद पे भरोसा करता हूँ और अकेले लड़ने के लिए तत्पर रहता हूँ..!!
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मैं तुमसे वैसे ही जुड़ चुका हूं जैसे, कोई वृक्ष भूमि से जुड़ा होता है.. तुमसे अलग होकर मेरा अंत निश्चित है...!!!
...तुम्हारा होना ही हमारे लिए मनभावन सावन है। तुम्हारी अनुपस्थिति हमें खुद के बंजर होने का एहसास दिलाती है। तुमसे ही मेरे जीवन के सारे बसंत है। तुमसे ही मेरे सारे उत्सव हैं। तुम्हारे बगैर तो मैं सिर्फ एक अस्तिवहीन शून्य हूँ। जिसका इस चराचर जगत में कोई मोल नहीं।।...
...कभी-कभी मन स्वयं से ही खिन्न हो जाता है.. ऐसा लगता है सबकुछ छोड़कर कहीं दूर पर्वत श्रृंखलाओं की ओर निकल जाऊं.. और फिर उसी रहस्यमयी दुनिया में खुद को अनंत काल के लिए खो दूं...!!
....कभी-कभी बहुत ज़रूरत महसूस होती है कि कोई हो जिससे अपनी दिल की कह सुन सकें, अपनी भावों को साझा कर सकें, परन्तु जब कोई नहीं होता हमें सुनने, समझने वाला..तब अपनी लाचार मन से स्वयं की बेबसी, गहरा अन्धकार, अनिद्रा एवं अपने अंतहीन अकेलेपन से दुःख भरी गीतों के साथ जूझना ही पड़ता है...!!
....मेरी सोच थोड़ा औरो से अलग है.. मैं हमेशा कोशिश करता हूँ अपनी परेशानियों से अकेले ही निपटू.. मैं दूसरों से मदद मांगने से हिचकिचाता हूँ.. मुझे डर लगता है अपने इस मदद को कभी ये अहसान का नाम न दे दे.. इसीलिए मैं खुद पे भरोसा करता हूँ और अकेले लड़ने के लिए तत्पर रहता हूँ..!!
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.. एक अच्छा और सच्चा दोस्त कभी आपको जज नहीं करेगा .. वो आपको समझेगा .. पूछेगा .. फिर किसी नतीजे तक पहुँचेगा, आसमान जितनी वो तुमसे उम्मीदें नहीं लगाएगा, कतरा भर तुम्हारी वो मुस्कान पर इतराएगा .. दूसरों के सामने तुम्हें नीचा नहीं कभी दिखाएगा ..
.. अकेले में बेशक ग़लती पर थप्पड़ तुम्हें लगाएगा .. जब साथ छोड़ देंगे सब, वो हाथ तब भी नही छुड़ाएगा .. चीखेगा चिलाएगा .. झगड़ा तुमसे करेगा .. कुछ भी हो जाए मगर, दूर तुमसे कभी ना जाएगा .. जब प्यार मे तुम जीतोगे, तब वो तुम्हें सताएगा .. टूटागा दिल जब, बिन कुछ कहे कांधा बनकर आएगा .... एक सच्चा और अच्छा दोस्त, बुराइयाँ तुम्हें तुम्हारी बताएगा, पर ग़ैरों के सामने .. फक्र तुमपर जताएगा .. नाराज़गी में बेशक तुमसे बात नहीं वो करेगा .. लेकिन, देख’कर परेशान तुम्हें, नाराज़गी अपनी वो भूल जाएगा ..
सारे रिश्तें सारी बातें,
सारा प्यार एक तरफ़,
यार के बिना ज़िंदगी को,
ज़िंदगी कहना एक तरफ़!-
टूटने और संभलने के बीच "संवर" जाना ही जिंदगी है...!!!
Sona Hu Jindagi Jeene Ke liye vajah hona chahiye ......
Meri to vajah Tum the aur Tumsa Koi vajah Bane yah Mumkin Nahi..........
Kyunki khubsurti najriya Mein hoti hai
Vah najriya Jo Aankhon Se Shuru hokar Dil Mein bus jata hai.......
.............अन्यथा खुशियाँ,प्रार्थनाएं और यहां तक की अपनी रूह तक को तुम्हारे नाम किया था मैंने'खैर!एक चोटिल रूह की तक़लीफ की झलक उसके जिस्म से ज्यादा उसकी सादगी और मुस्कुराहट में झलकती है.......
..........तुम मुझे भुला दोगी, क्योंकि याद रखने जैसा मुझमें कुछ नहीं और ना ही मैंने ऐसी यादें दी तुम्हें जिसे याद कर तुम मुस्कुरा सको, मैं किसी पतझड़ के मौसम सा जिसको तुम बस भूल जाना चाहोगी वसंत के लिए.........!!!
....... मेरा कम बोलना और मेरा लिखना मुझे सहज और ख़ुद की नज़रों में और मज़बूत बनाता है ..
.. क्यूँकि, मैं अक्सर वो कह नहीं पाता जो मैं कहनाचाहता हूँ .. ज़बान लड़खड़ा जाती है, धड़कने बढ़ जाती है ..-
.......
" तुम " और " प्रेम "
ये दोनों शब्दों को जोड़ कर
मैंने लिखा है,
अपनी सब से श्रेष्ठ
और सब से अनोखी कविता ....
सिर्फ .... " तुम्हारे लिए " ❤️
...
मैं हमेशा से चाहता हूँ
कि मेरी हथेलियों को तुम अपनी हथेलियों मे छुपाओ
मेरे चेहरे को अपने चेहरे से ढ़को
मुझे छुपा लो अपनी बाहों की पनाहों में
तुम्हारे इश्क़ को कुछ यूँ महसूस करना चाहता था मग़र...🖤🖤
काश , तुम्हें भी इश्क होता मेरे जैसा ! मैं तृप्त हो जाता ! पहचान जाता तुम्हारें दिल में उतरने की आहट को ! कोई संशय नहीं रहता कि तुम्हें इश्क है मुझसे या नहीं ! धड़कने गवाही देता ! तुम्हारी धडकने मिल कर मेरी धड़कनों के साथ एक अनसुना गीत बना देता जो तुम्हें सुनाई देता या मुझे सुनाई
देता !
काश , तुम्हें इश्क होता मेरी तरह !! ❤-
लिख कर बयाँ नहीं कर सकता मैं हर गुफ्तगू...!!
कुछ है जो बस नजरों से नजरों तक रहा...!!!!
किताब की मेज पर थक कर सिर टिका कर एक सुकून आया,
तकिए से मुंह छुपा कर रोने से अच्छा है किताबों में आंखे लगा लो।
उलजुलुल ख्यालों से आजादी मिलेगी और यादों का अंबार कम और दिमाग में नाचता इतिहास भूगोल ज्यादा दिखेगा,
खुशियां ढूंढने पर ही मिलेंगी झोली में खुद आएं वो जमाने चले गए।
थक गया हूं खुद से लड़कर...
खुद नाराज़ होते हुए भी दूसरों को मनाकर..
खुद के हक़ में सफाई देते-देते थक गया हूं।...
थक गया हूँ अपने अंदर के तकलीफ़ को छुपाते-छुपाते..
थक गया हूं बाहर से हँसते और खुद के अंदर रोते चिल्लाते हुए...
थक गई हूं सबकी परवाह करते करते..अब खुद से छुट्टी चाहता हूं।..
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ना ही मिलेगा मेरी डायरी के पीछे लिखा हुआ किसी का नाम,
उसकी तस्वीर तक पास रखने की कभी जरूरत नही पड़ी
लेकिन अगर तुम महसूस करोगे उस कमरे में तो पाओगे आईने पर चमकती एक मुस्कान,
जो कभी खुद को देखते हुए उसे याद करके मुस्कुराया था मैं...
वो मुस्कुराहट वही उसी आईने में छूट गई थी...
उसकी याद आने पर रात भर रो कर भिगाये हुए तकिए में आज भी थोड़ी नमी बाकी होगी ...
लेकिन तुम ये सब बस महसूस ही कर सकती हो,
किसी सबूत के तौर पर अपने साथ लेकर नही जा सकती..
इसलिए वो मुस्कान, वो खिलखिलाहट, वो नमी, वो गूंज सब वही छोड़ देना उस कमरे में...
और बाहर आकर कह देना सबसे कि उस
लड़के को कभी किसी से मोहब्बत हुई ही नही थी...
उसके मरने का कारण अज्ञात है..-
एक औरत के लिए संसार की सबसे महफूज जगह क्या हो सकती है ? ......
यकीनन वो होता है ब्रह्मांड की तरह निरन्त विस्तारित पुरुष का सीना भले ही वो पुरूष पिता हो , भाई हो, मित्र हो या प्रेमी हो पति हो या पुत्र हो।
उसके सीने से लगकर वो भुल जाती है अपनी समस्त पीड़ाएं और सुरक्षित पाती है वो ख़ुद को....
....आदमी जब थक जाता है
स्त्री को ढूँढ़ता है
आदमी जब ऊब जाता है
स्त्री को ढूँढ़ता है
आदमी जब टूट जाता है
स्त्री को ढूँढ़ता है
इसे दूसरे तरीक़े से कहें तो
थके
टूटे
ऊबे हुए आदमी को
सिर्फ़ स्त्रियां बचाती हैं।
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