चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए |वैद बेचारा क्या करे, कहा तक दवा लगाए ||||संत कबीर दास|| - Atul
चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए |वैद बेचारा क्या करे, कहा तक दवा लगाए ||||संत कबीर दास||
- Atul