हर रोज़ फूल से कहो कि तुम्हारे खिलने या ना खिलने से मुझे को कोई फर्क नहीं पड़ता,
उसे कहो तुम्हारी खुशबू तुम्हारा स्वार्थ है, तुम्हारे रंग बस तुम्हारे मतलबी परिधान है!
तो एक रोज़ फूल मुरझाने लगेगा! हवा, पानी और खाद कुछ भी नहीं बचा पाएगा उसे!
फूल को तारीफ नहीं चाहिए, उसको चाहिए स्वीकृति, प्रेम, उसके होने की पूछ!!
इंसान भी ऐसे ही बदल जाता है, उनके अंदर की अच्छाई भी ऐसे ही मर जाती है, किसी को नहीं समझा पाना और आखिर में किसी को समझापाने की कोशिश भी नहीं करना!!
उसके अंदर का इंसान ऐसे ही मर जाता है, ऐसे ही रिश्तों के बीच जीते हुए उसको खुद लगने लगता है कोई उसको प्यार नहीं करता है और वो प्यार के काबिल नहीं है!!
वैसे दोनों बातें अलग है लेकिन फूलों का मन छोटा हो जाने के कारण मरना दुखद है!!
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लेकिन मेरे अंदर क्या चल रहा था वो मैं ही जानता था खुद की शक्ल देखना भी शीशे में छोड़ चुका था मैं, जिम ज्वाइन किया था खुद को अच्छा बनाने के लिए वो भी बंद कर दिया एक दिन, शादी के चार साल तक मैंने कोई नए कपड़े नहीं लिए थे सोच के नए कपड़े लिए थे वो भी मैंने रख दिए थे छुपा के, इतनी ज्यादा खुद से नफ़रत और अपने आपको कोसने के अलावा कुछ नहीं रह गया था मेरे पास, सब सोशियल अकाउंट भी डिएक्टिवेट कर दिए थे, बस जिंदगी ख़तम करने का एक भूत सा सवार हो गया था, मैं चीजें लिखता था वो भी लिखना एक दम बंद कर दिया था, इतना सब होने के बाद लोग कहते है पीछे से हमे बताया होता कम से कम कुछ तो कहा होता सच बताऊं कोई नहीं समझता यहां किसी को, किसी के लिए कितना भी कुछ कर लो सब बस आपकी एक गलती के आगे आपकी १०० अच्छाइयां भूल जाते है।।
और एक दिन ऐसा आया मैंने मरने का सोच ही लिया की आज बस सब ख़तम, आज का दिन बस आखिरी मेरी जिंदगी का, लेकिन कहा ना अपनी स्टोरी के शुरू में मैंने की एक पल चाहिए होता है हमें, यहां ही कर बैठा मैं बड़ी गलती और कर दिया बीवी को मैसेज, ऐसे ही जानने के लिए की अगर मैं मर जाऊं तो क्या होगा वो क्या सोचेगी ?
आगे की कहानी आप मैसेजेस में खुद पढ़ लो आगे...
लेकिन फिर भी मुझे लगता है मैं सुसाइड कर के ही मारूंगा एक दिन बाकी भगवान मालिक।।
और हां सच में बड़ी हिम्मत चाहिए मरने के लिए मुझमें अभी नहीं है वो, ये मेरी बीवी ने मुझे बताया।।-
आज कल मेरे जैसे नाम के ही व्यक्ति ने सुसाइड कर लिया इसकी बड़ी चर्चा हो रही है, वैसे सच कहो तो यही जिंदगी का सत्य है बस हम मान नहीं पाते है और भागम भाग में लगे रहते है॥
कभी-२ सोचता हूं कि जिसने ऐसा कदम उठाया है उसने कितना कुछ सोच कर ये किया होगा, कितनी हिम्मत अपने अंदर लाया होगा, कितने रिश्ते के बारे में सोच के भी उनको भुलाया होगा, सच्ची बहुत ज्यादा हिम्मत चाहिए अपनी जिंदगी खत्म करने में बहुत ही ज्यादा।।
वैसे ये सब खत्म करने के लिए बस एक पल चाहिए होता है उस पल में कोई आपको परेशान ना करें और आप उस पल में किसी से बात ना करो जिस से आप सच में बहुत प्यार करते हो और जिसके बारे में आप ज्यादा सोचते हो तो शायद ये हिम्मत आ सकती है।
अब मैं ये सब क्यों कहे रहा हूं क्यूंकि मैंने भी कुछ दिन पहले ये जिंदगी ख़तम करने का सोचा था, लेकिन मैं खुद से ही इतना परेशान हो गया था कि बस, बचपन से अब तक लोग मेरी आवाज़ का मज़ाक बनाते आए और तो और मैं अपने आपको कभी अच्छा ही नहीं लगा शायद ही मुझे याद हो की मैंने कभी अपने घर में किसी को कहा हो की मैं अच्छा हूं या कभी कहा हो आज अच्छा दिख रहा हूं मैं, पता नहीं ये हाथो की रेखाओं में ही किया ही लिखा है कुछ सही ही नहीं हो रहा था मुझसे, घर में अलग परेशानी, ऑफिस में अलग मतलब सब ऐसे उथल पथल थी कि बस, ना चाहते हुए भी अपने सब से करीब लोगों का दिल में दुखा रहा था फिर वो घरवाले हो या दोस्त सब मुझसे ऐसे निराश थे की बस लग था क्या ही करू किस के लिए जियुं सबको तो परेशान कर रखा है मैंने, मैंने अपने आपको इतना अकेले और निराश कभी नहीं देखा था।।
लेकिन इन सब के बीच मेरे चेहरे पे हमेशा स्माइल सी रहती थी ये सब देख के मुझे किसी ने कहे भी दिया तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता, कैसे इंसान हो तुम।
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उन दोनों के बारे आज जब मैं सोचता हूं तो लगता है कि आप हमेशा किसी के लिए जरूरी नहीं हो सकते और कितना भी किसी के लिए कुछ कर लो आपकी एक गलती कहो या लोग आपको छोड़ने के बहाने बना कर एक दिन आपको छोड़ ही जाते है।।
फिर वो कुछ भी ऐसा याद नहीं करते आपको लेकर जिसमें आपने कोशिश की थी उनको खुश रखने की, अपनों से झूठ कहा था ताकि आपके पास रहें, आपसे बिना बात करे खाना नहीं खाया था।।
आपकी 100 अच्छाइयां बस एक गलती पे भारी पड़ जाती है और समाने वाले ने जब सोच ही लिया आपको छोड़ने का तो आप उसके पैरों में गिर जाओ उसको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।।
जहां चीजें समझी जा सकती थी और बात की जा सकती थी फिर से वहां ऐसे अलग होना, थोड़ा अटपटा सा था जबकि हम लोग उसको समझाते थे तब वो बात उसको समझ नहीं आती थी तब।।
ये तो कहानी का एक किस्सा था लेकिन वहां ही जो दूसरे लड़के ने साथ में ज्वाइन किया था जब उसकी सैलरी 15-20000 ही थी आज उसका पैकेज 15-20 लाख का है, और तो और नोएडा में फ्लैट और आज उसके पास कार भी है।।
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अब बार-२ वो घर जाता लड़की के साथ घूमता तो बात आस- पास वालो को भी पता लगी तो लड़की के माता- पिता को बोला।।
और फिर दोनों के पैरेंट्स ने आपस में बात की और फैसला हुआ की लड़का अब दिल्ली जाके जॉब करेगा यहां नहीं आएगा।।
लेकिन अब प्यार है तो क्या ही होता वो आ गया दिल्ली लेकिन लड़के को बहुत गन्दा लगा कि ऐसे घर वालो ने उसको सुनाया और इतना सब हुआ।।
लेकिन फिर दिल्ली आने के बाद वो लोग फोन पे बात करते रहे फिर भी।।
अब लड़की ने बताया कि वो लखनऊ आ रही है किसी रिश्तेदार की शादी में, अब लड़के को उस से मिलना था और वह भी बहुत सी बातें थी उसके मन में लेकिन वो तो वो ही जाने, लेकिन वो लखनऊ पहुंच गया अब सबसे बड़ी बात ये थी कि वो ऐसे इलाके में था वहां जहां उसका कोई नहीं था सिवाय उस लड़की के।।
अब पहुंच तो गया वो वहां लेकिन सबके सामने जहां उसको कोई जानता नहीं अब खुसद फूसद हुई तो लड़की के परेंट्स ने भी देखा उसको।।
अब तो वो आंख बबूला होगाए और लड़के को सबक सिखाने का सोचलिया।। अब लड़की ने कैसे भी किसी से फोन लेकर या खुद से फोन कर के कहा मैं मिल नहीं सकती प्लीज अपनी जान बचाओ और भागो यहां से, अब जब लड़के को बोला उसने तो बचता क्या ना करता भागा वो और कहां-२ छुप के कैसे वापस आया, उसकी कहानी सुनते हुए लग रहा था जैसे किसी फिल्मी सीन हो वो।।
खैर वहां से आने के बाद कहो या रास्ते में ही वो मन बना चुका था उस लड़की को छोड़ने का और तो और उसको लग रहा था की उसको मारने के लिए उस लड़की ने ही लोगो को कहा है।।
और लड़की उस से बात करना चाहती थी लेकिन वो लड़का उस लड़की को ऐसी गालियां सुनाता और सब जगह से ब्लॉक कर चुका था लेकिन लड़की रोते हुए लास्ट टाइम तक इतना कहे चुकी थी कि मैं सब कुछ छोड़ के आपके पास आ सकती हूं।।
बस आप मुझे ना छोड़ो प्लीज.....
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बात उन दिनों की है जब मुझे दिल्ली में जॉब लगी थी, नए-२ हम और साथ में २ लड़के भी आए B.Tech किए हुए वो भी मैकेनिकल में मैं अकाउंट्स में तो वो सेल में थे तो बातें हो जाया करती थी।।
लेकिन उनकी जो सैलरी थी वो 15-20,000 कुछ ही थी, लेकिन दोनों अच्छे घर से ही थे।।
अच्छा दोनों बिहार से ही थे और दोनों एक ही सिटी और रहते भी साथ ही थे, लेकिन एक ज्यादातर ऑफिस में रहता तो दूसरा फील्ड में।।
अब मंथ एंड पे तो सबके पास काम होता लेकिन मंथ के बीच में कम होता था, तो हुआ ये कि जो लड़का ऑफिस में रहता था उसको एक लड़की ने रिक्वेस्ट भेजी फेसबुक पे, अब भाई बातें होने लगी दोनों की लेकिन लड़के को लड़की ने बाद में बताया की दोनो के फादर एक ही जगह जॉब करते है और सरकारी क्वार्टर थे तो दोनों के घर भी आस-पास ही थे। अब लड़के को बड़ा अटपटा लगा की ऐसे कैसे हो सकता है कि वो घर के पास रहे और उसको पता नहीं हो।
लेकिन वो ये भूल गया कि पढ़ाई करने के लिए वो हॉस्टल में था और फिर उसकी जॉब यहां लग गई, घर वो गया था तो लड़की ने देखा तो उसको धुंड के रिक्वेस्ट भेजदी सिम्पल सी बात।।
ये उसके साथ वाले दोस्त ने उसको समझाया।
लेकिन लड़का सच में स्मार्ट था, अगर मैं आज चस्मा लगाता हूं तो उसको देख के लगना चाहा जबकि वो बस कंप्यूटर पे काम करने के लिए पहनता था, और तो और आज मेरे पास जो बाइक है वो उसने ली थी तबसे मेरे मन में था कि एक दिन मैं भी यही लूंगा।।
लड़की का रिक्वेस्ट भेजना कोई ताज्जुब वाली बात नहीं थी उसकी पर्सनैलिटी ही ऐसी थी।।
अब कहानी में मोड़ ये आता है कि लड़की का मजहब था दूसरा, और लड़का पूरा फ्लैट उसपे ये बात हमे उसके साथ वाले लड़के ने बताई तो जिसको भी ऑफिस में लगा पता बहुत से लोगो ने समझाने की उसको कोशिश की लेकिन वो है ना जब प्यार होता है तो हम काला कपड़ा दाल लेते है आंखों पे।
उसको ये बात समझ नहीं आई बातें चलती रही हमने भी समझाना बोलना छोड़ दिया, लेकिन वो अब हर महीने लड़की से मिलने अपने घर जाने लगा और जॉब की फ़िक्र उसको नहीं रही।।-
हम उसको लेकर सोचते भी नहीं है और कहे देते है जब परेशान ही करना था, अच्छा भला अकेले हम अपने आपको हैंडल करते थे लेकिन आके आपने मुझसे मेरा वो हक भी छीन लिया है।
लेकिन इन सब के बीच हम वो सब भूल जाते है जिसको हमने कभी एक फरिश्ते का दर्जा दिया था, वो भी एक इंसान है जहां वो हमे सुना करता था क्या उसको हम ने वैसे सुना?
जो समझता था इतने अच्छे से, हमारे हमेशा अच्छे की कामना करता था वो इंसान, जो इंसान सबसे अलग था उन लोगो से जिन्होंने कभी हमारा अच्छा नहीं चाहा।।
और जो हमे सुनता था, समझता था क्या पता उसको भी कोई उस समय चाहिए होगा तभी, क्या पता वैसे ही उसने हमें समझ के हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया इन सब से उलट हमने उस फरिश्ते को दिया तो बस बिन बात के गाली और सुनाया जब उसने हमारे मुताबिक हमे समय नहीं दिया और हम यहां ही स्वाभिमानी हो जाते है नहीं समझना चाहते उस समय हम कुछ भी की समय एक सा नहीं रहता, बस हमें चाहिए होता है तो वो पुराना सख्स जो हमेशा हमारे लिए हर समय रहता था मौजूद।।
बहुत मुश्किल है ना समय निकाल के किसी अपने से बात करना और इस से ज्यादा मुश्किल ये है कि हम जिसको चाहते है उस इंसान को ये बताना वो कितना जरूरी है हमारी इस जिंदगी में।।
अगर कोई है आपके पास और आप उसको उसके लिए ही कुछ कहना चाहते हो तो लड़ के, प्यार से या सामने वाले का मूड देख के बात कहे देनी चाहिए नहीं तो, कब किस का आखिरी समय आ जाए हमे नहीं पता लेकिन हां एक दूजे के लिए दिल में कड़वाहट नहीं लाने की वाजाए दिल साफ रखना जरूरी है।।-
कुछ दिन पहले एक मूवी देखी ‘The Great Indian Family‘ मूवी की स्टोरी बहुत सिम्पल सी है, एक फैमिली है जो ब्रह्मनंद है और एक ही बेटा है उस फैमिली में जो की संगीत, भजन कीर्तन करता है।
लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब पता लगता है वो लड़का एक मुस्लिम परिवार से है और जब वो हुआ तो अस्पताल में बच्चा बदल गया था।।
इस बीच वो लड़का एक दम से अपनों के बीच ही अपने आपको पराया सा फील करने लगता है, जहां वो भजन कीर्तन कर के घरवालों की हेल्प कर रहा था वहां ही घरवाले अब उसको अलग दृष्टि से देखने लगते है, ऐसा ही होता है ना हमारे साथ भी पता नहीं कब हम एक घर में होते हुए भी अपने घरवालों को चीजें समझा नहीं पाते है और बहुत बार वो हमे समझ नहीं पाते है, और मन में हमारे इतनी बातें जन्म ले लेती है कि हमें लगने लगता है कोई नहीं समझता हमे।।
लेकिन तभी होती है एंट्री एक शख्स की जो हम से बात करना चाहता है, हमें स्पेशल फील करवाता है और आज तक जो हम किसी से नहीं कहते थे वो इंसा कहता है कहने की ही दिल में कोई बात मुझसे कहो, कोई मुश्किल कोई पेरशानी आए मुझसे कहो।
सब इतना अच्छा लगने लगता है कि बस वो इंसान एक दम फरिश्ता बन के आता है और हर समय हर मिनट हमें अच्छा फील करवाता है।
सब कुछ अच्छा चलता रहता है लेकिन कहते है ना समय का पहिया हर बार एक सा नहीं रहता समय बदलता है जो इंसान कल तक सब कुछ सुनता था वो कम समय देने लगता है और और कहां है कहां नहीं वो सब बताता है हमें लेकिन वो वाली बात नहीं रहती जो 24x7 हमारे लिए हर टाइम रहता था अब वो वैसा नहीं रहता है।।
हमारे मन में उसके लिए अलग-२ तरफ के भाव आने लगते है और हम उस इंसान को उन्हीं लोगों के बीच खड़ा कर के तोलने लगते है जिन्होंने हमें कभी दुख, दर्द और पीड़ा दी थी, जहां कभी हम उसको सुपर बोलते थे आज उसका थोड़ा सा हमें समय ना देने पर अब वो हमे हमारी लाइफ का एक कड़वा सच लगने लगता है और गुस्से में हम उसको वो सुना देते है जो कभी.....-
सुबह की शुरूआत हमेशा सूरज से नहीं होती
कई बार वो खुद के जागने से भी होती है
क्या तुमने देखा है ऐसा कोई वसंत जो
बिना पतझड़ के आया हो
नहीं ना?
फिर क्यों होते हो व्यथित
संघर्ष पथ पर
जब जानते हो सफलता का मार्ग
संघर्ष से ही संभव है
तुम साहस से भरे हुए हो
तुम में सारे रस है
ओ सारे रसो से परिपूर्ण मनुष्य
तुम नहीं जानते तुम कौन हो।
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फूल नहीं जानता वह कौनसा फूल है
हवा भी कहाँ जानती है
किस में कितनी क्षमता है
जमीन भी कहाँ तय कर पाती है
कौन सा फूल कब गिरेगा
पत्तियों को भी कहाँ पता होगा
खुद का रंग
बारिश भी कितना जानती होगी
अपनी बूंदों को
क्या तुम बता सकते हो
सिल बटटे की हरी चटनी का तीखापन
मात्र उसको देख कर ही,
नहीं ना ?
फिर क्यों करते हो खुद का आकलन
परिक्षण किये बिना ही,
क्यों स्वीकार्य करते हो पूर्वानुमानों को
जब करना चाहते हो प्रयास,
क्यों भिगोते हो खुद को
अनगिनत आभाओं से
जब रचना है तुम्हे
स्वर्णिम इतिहास।-