Atul Sharma  
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Joined 8 September 2017


Joined 8 September 2017
29 MAY 2023 AT 0:42

बड़ा सुकून मिलता है
जब होता हूं साथ तुम्हारे
ज़माने भर से दूर कहीं
खुद को पाता हूं पास तुम्हारे
इन आंखों की गहराइयों का
पार कहां मैं पाऊं भला
तुम्हारी इन प्यारी बातों का
सार कहां मैं पाऊं भला
मेरे चारों धाम वहीं हैं
मेरे आठों याम तुम्हारे
हर पल हर क्षण हर घड़ी हर पहर में हर दम
वक्त को जीता हूं लम्हों में, जब होता हूं साथ तुम्हारे...

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21 APR 2022 AT 0:02

सुबह का हो शाम से
शहर का हो ग्राम से
दक्षिण का हो वाम से
मजदूरी का दाम से
सपनों का आराम से
तेरा मेरा नाता जैसे
छोटे बच्चे का 'एक' आम से

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30 DEC 2021 AT 0:03

एक काम बाकी रह गया है
बरसों पहले शुरू किया था जो सफर
उसका मुकाम बाकी रह गया है
जो हर वक्त
ज़िम्मेदारियों का बोझा उठाए हैं
उन कंधों का आराम बाकी रह गया है
जिन आंखों ने देखी हैं जाने कितनी ही चुनौतियां
देखना उनमें अपने लिए गुमान बाकी रह गया है
सूर्य सरीखी जो आशाएं हैं उन्हें मुझसे
कर्ण सा उन्हें साधना बाकी रह गया है
"हीरा चिथड़ों में भी उतना ही चमकता है
जितना की भव्य वेशभूषा में"
कथन यह भी करना साकार बाकी रह गया है

एक काम बाकी रह गया है...

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16 NOV 2021 AT 22:55

चुप रह कर उसे जवाब दिया
वह सोच रही थी बोलूं मैं
अपना गुस्सा खोलू मैं
पर गुस्सा होता तो खोलता ना
कुछ तो मैं भी बोलता ना
जब उसके शब्द इस पार गए
सौ बिच्छू डंक मार गए
बेसुधी में क्या बोलता मैं
कुछ सोच पाता तो बोलता मैं
अब उसकी तरह तो हो न सकता
अपनी असलियत खो न सकता
पर जो भी हो,
हसीं सा खुद को एक ख़्वाब दिया
चुप रह कर उसे जवाब दिया...

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3 MAY 2020 AT 11:40

दौड़ते, गिरते, उठते, संभलते
दुनिया की इस भेड़ चाल से परे होकर,
कुछ नामुमकिन सा करते हैैं।
कुछ उनकी गलतियों से
कुछ खुद कर के सीखते हैं।
अभिमन्यु सी एकाग्रता रखते,
हर रोज़ नये चक्रव्यूह भेदकर
अनुभव के बर्तन भरते हैं,
हम अपने मन की करते हैं।

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19 DEC 2019 AT 22:16

पहाड़ बनो
दुनिया की इस भेड़ चाल में
तुम अपनी एक पहचान रखो
अपनी तृष्णा के घोड़ों पर लगा सको लगाम
ऐसे तुम असवार बनो

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17 MAY 2019 AT 8:18

कहा नहीं जाता,
उन्हें देखे बिना एक पल भी
रहा नहीं जाता ।
सोचते तो हैं कि बता दें
उन्हें आज दिल की बात,
पर अंदर का यह डर
छुड़ाया नहीं जाता,
कि कहीं टूट ना जाए यह दोस्ती भी
और दरअसल मसला यह भी है कि
ऐसा दोस्त दोबारा बनाया नहीं जाता...

ख़ैर, सोचते तो हैं मगर
जाने दे...

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10 FEB 2019 AT 16:59

ये दिल कब से बेकरार है
सोच सोच कर घबराता है

जवाब क्या होगा ?
क्या फ़र्क पड़ता है...
जो होगा सो होगा

क्या मालूम उन्हें भी हमसे हो
पर अभी तक इकतरफ़ा ही तो प्यार है
फिर भी जवाब का इंतज़ार है...

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8 DEC 2018 AT 12:19

कोरे काग़ज़ पर लिखता हूँ आज
वो हसीन मुलाकात के पल
जब तुम्हारी एक मुस्कान के जाम ने
मुझे इस क़दर मदहोश कर दिया कि
आज तक वही मदहोशी छायी है

इक अरसे से तुम्हें यह कहना है
कि पाने की चाह भी है तुम्हें
पर अगर यह मुकम्मल ना भी हुआ
तब भी कोई ग़म नहीं
पर मेरे ख़्वाबों पर तो तुम्हारा वश नहीं

वो मुस्कान, वो बातें, वो मुलाक़ातें
वो तारों की ख़्वाबों भरी रातें
यही सोच कर लिखता हूँ इस
कोरे काग़ज़ पर वो हसीन पल...

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12 SEP 2018 AT 10:09

Destination is directly proportional to Destiny.
If you change your Destination,
your Destiny will be change spontaneously according to your Destination....

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