बड़ा सुकून मिलता है जब होता हूं साथ तुम्हारे ज़माने भर से दूर कहीं खुद को पाता हूं पास तुम्हारे इन आंखों की गहराइयों का पार कहां मैं पाऊं भला तुम्हारी इन प्यारी बातों का सार कहां मैं पाऊं भला मेरे चारों धाम वहीं हैं मेरे आठों याम तुम्हारे हर पल हर क्षण हर घड़ी हर पहर में हर दम वक्त को जीता हूं लम्हों में, जब होता हूं साथ तुम्हारे...
एक काम बाकी रह गया है बरसों पहले शुरू किया था जो सफर उसका मुकाम बाकी रह गया है जो हर वक्त ज़िम्मेदारियों का बोझा उठाए हैं उन कंधों का आराम बाकी रह गया है जिन आंखों ने देखी हैं जाने कितनी ही चुनौतियां देखना उनमें अपने लिए गुमान बाकी रह गया है सूर्य सरीखी जो आशाएं हैं उन्हें मुझसे कर्ण सा उन्हें साधना बाकी रह गया है "हीरा चिथड़ों में भी उतना ही चमकता है जितना की भव्य वेशभूषा में" कथन यह भी करना साकार बाकी रह गया है
चुप रह कर उसे जवाब दिया वह सोच रही थी बोलूं मैं अपना गुस्सा खोलू मैं पर गुस्सा होता तो खोलता ना कुछ तो मैं भी बोलता ना जब उसके शब्द इस पार गए सौ बिच्छू डंक मार गए बेसुधी में क्या बोलता मैं कुछ सोच पाता तो बोलता मैं अब उसकी तरह तो हो न सकता अपनी असलियत खो न सकता पर जो भी हो, हसीं सा खुद को एक ख़्वाब दिया चुप रह कर उसे जवाब दिया...
दौड़ते, गिरते, उठते, संभलते दुनिया की इस भेड़ चाल से परे होकर, कुछ नामुमकिन सा करते हैैं। कुछ उनकी गलतियों से कुछ खुद कर के सीखते हैं। अभिमन्यु सी एकाग्रता रखते, हर रोज़ नये चक्रव्यूह भेदकर अनुभव के बर्तन भरते हैं, हम अपने मन की करते हैं।
कहा नहीं जाता, उन्हें देखे बिना एक पल भी रहा नहीं जाता । सोचते तो हैं कि बता दें उन्हें आज दिल की बात, पर अंदर का यह डर छुड़ाया नहीं जाता, कि कहीं टूट ना जाए यह दोस्ती भी और दरअसल मसला यह भी है कि ऐसा दोस्त दोबारा बनाया नहीं जाता...
Destination is directly proportional to Destiny. If you change your Destination, your Destiny will be change spontaneously according to your Destination....