निकलता हूँ घर से बाजार को तेरे अरमानो का खाली थैला लेकर,
सारे सपने उसमे समेट लेता हूँ।
लौटते समय आता हूं तेरी गलियों में,
थैला समेत ख़ुद को भूल कर घर आ जाया करता हूं।-
कितनी भी गदर मचालो शहर में, पढ़ाई के नाम से,
हम है पहाड़ी, गाँव मे भात-झोल्ली खाते है कढाई में शान से।-
घर की दहलीज ही नही,दिल की दहलीज पर भी हो पाबंदी।
यू तेरा आकर डोरबेल बजा के चले जाना ठीक नही।-
Making quote is not so hard
But ruining it is .
(Like I did to this one)-
ना जाने कितने शब्दो को समेटे हुँ,
ना जाने कितने पन्नों को समेटे हुँ,
फिर भी ना अभिमान है,
मैं हुँ पुस्तक,
मुझसे विद्यार्थियों की पहचान है।-
मिले जो प्यार, तो संभलकर करना दोस्तों,
खुदा का भेजा हर बंदा मज़बूत नही होता।-
ये अल्फ़ाज़ ये जज़्बात लिखने का हुनर,
यू ही नही मिलता खैरात में,
जाने कितनी दफा दिल तोड़ना,
और खुद टूट जाना पड़ता है।
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इतनी घबराहट इश्क़ से कुछ तो बात होगी,
कितना भी बच के चल लो,कभी तो मुलाक़ात होगी।
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उलझने भी मीठी हो सकती है,
जलेबी इसकी एक मिसाल है।
थोड़ी कड़वाहट भी फायदेमंद हो सकती है,
औषधि इसकी एक मिसाल है।
ये जिंदगी है जनाब,
जलेबी और औषधि खाते रहिये।-
मत कर इतनी मोहब्बत अपनी वाली से,
वो आंखों से वार करती है,
मैंने उसकी आँखों मे देखा है,
वो मुझसे भी प्यार करती है।-