Atul Rathor   (Atul a blogger man)
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Joined 30 April 2018


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Joined 30 April 2018
12 JUN 2024 AT 5:16

पालता तो हर कोई है दिल में सपने कई।
कुछ सपने मुकम्मल होते हैं, तो कुछ नहीं।।

ये इंसानी व्यवहार है या है कुछ और....!
हमें ले जाता है बड़े-बड़े सपनों की ओर।।

मुकम्मल सपनों की खुशी दरकिनार कर।
बड़े सपने पूरे नहीं, उसका भी ख्याल कर।।

जिंदगी चार दिन की है ये तो सबको पता है।
लेकिन वो चार दिन कैसे जिओगे.......?
इसका आज से ही हिसाब कर।।

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2 NOV 2021 AT 14:44

दीवाली पर घर की सफाई करते समय;
अचानक मिली पुरानी किताबों में उलझ जाना;
मेरी पुरानी आदत रही है।

| Atul Rathor | Mansoo_official |

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2 AUG 2021 AT 2:03

एक दिन की शौहरत!

[अनुशीर्षक पढ़ें]

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16 JUL 2021 AT 17:46

जब कोई मंजिल, दिल की जिद बन जाती है।
फिर सोना भी चाहो तो नींद कहाँ आती है।।

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3 JUL 2021 AT 13:10

Mansoo

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7 NOV 2020 AT 23:39

Your Quote पर Short Quote लिखने वाले
काफी लोग मिल जायेंगे।
लेकिन....
इस बीच अगर आपको तलाश है
किसी खाश लेखिका की;
जो आपको 'Amazing story' देकर
काफी समय तक अपनी प्रोफाइल पर रोक-कर रख सके
तो बेझिझक आप 'शिवानी बरोट' को
follow कर सकते हो।😍
इनके Write-up's पढ़कर,
वाकई आपको अहसास होगा कि
आप किसी 'Professional writer' की
प्रोफाइल पर हो।😍

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10 MAY 2020 AT 14:23

मैं शून्य सा आया था इस धरा पर,
वो शायद पहला और आखिरी वक्त था!
जब मैं रोया और तू हँसी थी माँ!

मुख से निकलतीं थीं सिर्फ कुछ किलकारियाँ,
फिर मैंने जब भी अपना पहला शब्द बोला होगा!
उसे सुनकर तेरी खुशी का ठिकाना ना रहा होगा माँ!

बैठना, घुटनों पर चलना और फिर...
इन दो पैरों पर सरपट दौड़ जाना..!
ये सब तेरी ही तो कलाकारी है माँ!

एक बार प्यार तो हर किसी पर आ जाता है
लेकिन वो सिर्फ तुम ही हो..........!
जिसे जब भी देखूँ, मुझे हर वक़्त प्यार आता है माँ!

मातृ-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!😍
💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞

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19 APR 2020 AT 15:04

हम सब घर में हैं, मगर...!
मां के काम कम नहीं होते।
हम फोन चलाते-चलाते सो जाते हैं!
महीने का खर्चा कैसे चलेगा?
इस चिंता में, मां-पापा रात भर नहीं सोते।
हम छोटी-छोटी परेशानी में हताश हो जाते हैं...
मां-बाप हमारी हर परेशानी को अपना मान लेते हैं
दिक्कतें कितनी भी हों मगर........!
हमेशा हँसता हुआ चेहरा ही दिखाते हैं
वो अपने लबों की खुशी कभी नहीं खोते
खर्चे कम नहीं होते.................।

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19 APR 2020 AT 13:38

कब मामा से महबूब हुआ, मुझको हुई न खबर।
रात चाँदनी और ये आसमाँ, सितारों का शहर।।
ऐ चाँद! चलो ना साथ तय करें ये रात का सफर,
सिर्फ तू ही क्यूँ पिये ये 'अकेलेपन' का जहर...।।

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15 APR 2020 AT 10:45

सिर्फ अफ़सोस हाथ लगता है।
हाथ छोड़ जाते हैं सभी,
सिर्फ अकेलापन साथ होता है।।

जिंदगी फिर भी चलती रहती है धीमे धीमे,
लेकिन!
आगे वही निकलता है,
जो फिर से उठकर खड़ा होता है।।

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