बारिशों से कुछ यूँ दोस्ती हो गई,
कि बादलों ने किनारा कर लिया।-
फिर वही रात है,
फिर वही सन्नाटा है
हम कहीं और चले जाते हैं अपनी धुन में
रास्ता है कि कहीं और चला जाता है।
--सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
-
लोग पागल कैसे हो जाते हैं,
देखो ऐसे हो जाते हैं,
ख्व़ाबों का धंदा करती हो,
कितने पैसे हो जाते हैं,
तो दुनिया सा होना बहोत मुश्किल है,
तेरे जैसे हो जाते हैं,
और मेरे सब काम खुदा करता है,
तेरे वैसे हो जाते हैं,
ये फूल देख रहे हो,ये उसका लहजा था,
वो झील देख रहे हो, यहाँ वो आती थी,
मुनाफिको को मेरा नाम ज़हर लगता था,
वो जान-बुझकर गुस्सा उन्हें दिलाती थी,
उसे किसी से मोहब्बत थी पर वो मैं नहीं था,
ये बात मुझसे ज्यादा उसे रुलाती थी।।।।
--अली-
आदमी आदमी को क्या देगा
जो भी देगा वही खुदा देगा
मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ हैं
क्या मेरे हक में फैसला देगा
जिंदगी को करीब से देखो
इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा
हमसे पूछो दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा
--सुदर्शन फाकिर
-
जगमगाते हुए जुगनू-यह दीये आवारा,
इस तरह रोते हुए नीम पे जल उठते हैं,
जैसे बरसों से बुझी सूनी पड़ी आंखों में,
ढीठ बचपन के कभी स्वप्न मचल उठते हैं।
-गोपाल दास नीरज-
आस होगी न आसरा होगा,
आने वाले दिनों में क्या होगा,
मैं तुझे भूल जाऊंगा इक दिन ,
वक्त सब कुछ बदल चुका होगा ,
नाम हम ने लिखा था आंखों में,
आंसुओं ने मिटा दिया होगा,
आसमां भर गया परिंदों से,
पेड़ कोई हरा गिरा होगा
-- बशीर बद्र-
सुनो,
दवाई की कीमत कम करो आप लोग,
बच्चे से पैसे माँगने में अब शर्म आती है।।
दवा की दुकान पर आज इक शख्स के शब्दों ने
एक चोट कर दी,एक अनसुना सच बयाँ कर दिया।।।।-
गर दर्शन, तो दार्शनिक है वो,
विचार, तो विचारक है वो,
गर तू स्वर्ण, तो मणि पारस है वो।।-
तुम्हें सुरक्षित महसूस कराना,
मेरी जरूरत नहीं है यार,
फिर भी करा रहा,
काश तुम अब भी समझ जाते।-