Atul Nanda   (Atul Nanda (अबन))
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Joined 31 December 2017


Joined 31 December 2017
30 JUN 2023 AT 13:22

तुम चाहते हो कि एतबार कर ले
तुम ही बताओ कैसे ये यार कर ले..

हमें तजुर्बे हैं जख्म खाने के
हम यारी फूलों से कैसे यार कर ले..

हमें इबादत पे यकीन तो है मगर
किस्मत पे यकीन कैसे यार कर ले..

जिसने रात भर शम्स जलाएं हो
वो सुबह पे यकीन कैसे यार कर ले..

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2 JUN 2023 AT 11:52

कुछ काम नहीं है तो यह काम कर रहे हैं
हम किताबों के सफ्हों को तेरे नाम कर रहे हैं

तेरा नाम लिख रहे हैं तुझ से बात कर रही हैं
और इक आरजुएं मुलाकात कर रहे हैं

मोहब्बत नहीं है तुझसे मगर यह भी सही है
बहुत जज्बाती हैं हम जज्बात कर रहें हैं

तेरे ना मिलने के फैसले को भी माना है
और मिल जाए तो यह दुआ कर रहे हैं

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6 MAY 2023 AT 14:01

रात की खामोशी में मोबाइल में सर्फिंग करते हुए
इक नोटिफिकेशन तुम्हारे नाम का चमका तो था
जाकर देखा तुम्हारे डीएम ने तो वहां कुछ ना था
वहम होगा शायद, वहम ही था,
तुम दिख रही थी मुझे ऑनलाइन देर तक
और मैं तुम्हारे ही ख्यालों में गुम था

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22 DEC 2022 AT 18:48

तुम्हारी जरूरत बढती जा रही है क्या करे
कब तक तुमसे इस बात का पर्दा करें

हर ख्याल में ख्याल तुम्हारा आ रहा हैं
तुम ही बताओं के इस हाल में क्या करें

तुम हो के दीवार बनाऐं बैठें हो, हर तरफ
हम कैसे इस दीवार में झरोखा करें

दिल ओ दीमाग की जंग खत्म हो चुकी
अब ये ही इरादा है इब्तिदा करें

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17 NOV 2022 AT 11:18

मेरी लिखावट में मिलावट है तेरे हुस्न की
मेरे अल्फाज तेरी खुशबू से महकते हैं

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7 NOV 2022 AT 9:05

लिखे हुए शब्दों को मिटाते, क्यों हो
जो आ गया है बात जुबां पर, छुपाते क्यों हो

कुछ कहने से ही तो कुछ कहा-सुनी होगी
बात करने के मोके को, गवाते क्यों हो

हैं! मैं तो गुम हो जाता हूं तुम्हें देखकर
पर तुम मुझे देख कर शरमाते क्यों हो

बात इतनी सी ही तो कहनी है, "इश्क है तुमसे"
इसको दोस्ती का नकाब, पहनाते क्यों हो

मौसमों, शहरों, मिजाजों, की बातें कर ली बहुत
वो कह दो ना तुम मुझसे, तुम मुझे सताते क्यों हो

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29 OCT 2022 AT 13:19

तुम रुठे हुए हो तुम्हें मनाने के लिए क्या करूं
मैं खुद हारा हुआ हूं तुम्हें जीताने के लिए क्या करूं

तुम्हारे बोल की कीमत कितनी बढ़ चुकी है
मैं तुमसे बाते बनाने के लिए क्या करूं

खामोशियां शोर मचा रही है बहुत ज्यादा
खामोशियों को चुप कराने के लिए क्या करूं

तुमने तो कोई ताल्लुक नहीं रखा मुझसे
मैं तुम्हारा साथ निभाने के लिए क्या करूं

मैं तुम्हें कभी भी परेशान नहीं करना चाहता
मैं अपनी परेशानी को छुपाने के लिए क्या करूं

उम्र इतनी भी कहां बची है मेरी
इस बकाया उधार को चुकाने के लिए क्या करूं

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29 OCT 2022 AT 3:20

तुम रुठे हुए हो तुम्हें मनाने के लिए क्या करूं
मैं खुद हारा हुआ हूं तुम्हें जीताने के लिए क्या करूं

तुम्हारे बोल की कीमत कितनी बढ़ चुकी है
मैं तुमसे बाते बनाने के लिए क्या करूं

खामोशियां शोर मचा रही है बहुत ज्यादा
खामोशियों को चुप कराने के लिए क्या करूं

तुमने तो कोई ताल्लुक नहीं रखा मुझसे
मैं तुम्हारा साथ निभाने के लिए क्या करूं

मैं तुम्हें कभी भी परेशान नहीं करना चाहता
मैं अपनी परेशानी को छुपाने के लिए क्या करूं

उम्र इतनी भी कहां बची है मेरी
इस बकाया उधार को चुकाने के लिए क्या करूं

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26 OCT 2022 AT 9:18

हम अपनी ही नींद के मोहताज होते जा रहे हैं
जब से वो मेरे ख्वाबों से दूर होते जा रहे हैं

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20 OCT 2022 AT 21:10

तलब है ये जो तुम्हारी, कम नहीं होती
दूरीयां भी तुम से, खत्म नहीं होती

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