लिखे हुए शब्दों को मिटाते, क्यों हो
जो आ गया है बात जुबां पर, छुपाते क्यों हो
कुछ कहने से ही तो कुछ कहा-सुनी होगी
बात करने के मोके को, गवाते क्यों हो
हैं! मैं तो गुम हो जाता हूं तुम्हें देखकर
पर तुम मुझे देख कर शरमाते क्यों हो
बात इतनी सी ही तो कहनी है, "इश्क है तुमसे"
इसको दोस्ती का नकाब, पहनाते क्यों हो
मौसमों, शहरों, मिजाजों, की बातें कर ली बहुत
वो कह दो ना तुम मुझसे, तुम मुझे सताते क्यों हो
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