इस डरी हुई दुनिया में
कायर विचरते हैं
ये चोर से डरते हैं,
संत से डरते हैं,
अज़ान से डरते हैं,
मंत्र से डरते हैं,
तानाशाही तो दुनिया में ऐसे ही बदनाम है,
ये बर्फ के गोले लोकतंत्र से डरते हैं
जो गलत है, कुछ लोगों को लगता सही है,
ये तुम्हारी सच्चाई, ये मेरी सच्चाई क्या?
सच्चाई का दो पक्ष होता नहीं है
दांव पे सत्ता है, सट्टा लगाना है
सब अंधों को अपना नेता जिताना है,
यहां भक्त सभी हैं, भगवान कई हैं
सिंघासन खाली भी करलो पर जनता नहीं है।
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