Âtūl Kúmår Siñgh   (अतुल कुमार सिंह)
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Joined 21 March 2020


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Joined 21 March 2020
21 APR AT 22:25

शुक्रिया ऐ दर्द
बेहतरीन नातेदारी के लिए ..❤️🤗

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18 APR AT 7:28

दिल ने कहा
जो तुझे टूटकर चाहे
उसी से इश्क फरमा लेना
इत्ते में रखे ईंट हाथ में
वह दो हिस्सों में टूट गया
मानो कह रहा हो
इश्क सिर्फ़ जिंदा वस्तुओं से क्यों?
मैं इश्क का हकदार क्यों नहीं ..?

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10 APR AT 6:10

तुम्हारी चाह में तड़पकर
कोई पागल सा हुआ फिरता है यहां वहां
कह दो चाहना उसकी गलती थी
तुमने बसा ली नई जिंदगी
परिवार तेरा राजी खुशी
वो अब भी फिरे ख्यालों के खोखलेपन में
अब तब यादों में
जैसे कोई बाढ़ में नौसिखिया तैरने के लिए कूदा हो
वह हाल का खुद जिम्मेदार है, तूने माना हर वक्त
ये सबक न लिया वो
अब गया जो भटक अटक
और दिल गया कांच सा चटक
अब भी फिरे है तेरे लिए...
बेतहासा बर्बाद होकर...

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31 MAR AT 16:50

बहा ले गया
वो सब कुछ
जिससे जुड़ा था मैं
मैं की शक्ल में मैं नहीं था
हम थे अब नहीं
अब मैं अपनी बारी के पंक्ति में खड़ा..

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29 MAR AT 10:49

देखकर चांद को आसमान में अकेला
थोड़ी देर मैं भी ठहर जाता हूं छत पर..

बांटता हूं उसका और अपना एकांत
अपलक देखते हैं...

हम दोनों अब
शिकायतों के बाज़ार में नहीं बैठा करते

बैठते हैं नीरवता की छांव तले
जहां कहीं कोई गुमशुदा पत्थर..

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25 MAR AT 21:55

क्या कहूं तुझे तू मेरा नहीं
बस यहीं पर जबान अटक जाती है...

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24 MAR AT 21:25

सीढ़ियों पर जो बैठे हैं
खुदा का नाम लेकर
उनसे भी बच रहे खुदा
भाग रहे नज़रे बचाकर

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23 MAR AT 21:49

क्या खता हुई हमसे ए खुदा
तूने सारे तोहफ़े मेरे नाम कर दिए

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22 MAR AT 9:14

मुझ सा नासमझ कोई और न होगा 
होगा जहां में सिर्फ़ अतुल अतुल ही होगा

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21 MAR AT 23:40


जिस्म में रूह है
तभी तो जिंदा है
बस यही बात पर
मजनू लैला से शर्मिंदा है...

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