प्यार जताते जताते थक गया हूं मैं कभी तुम भी जताते तो अच्छा था नही सो पाता हूं कई कई रातें रात संग जग जाते तो अच्छा था मैने तो स्वीकारी अपनी सारी कमियां तुम भी ये बतलाते तो अच्छा था
क्यों बेचैन मैं हो जाता हूं। पास तुझे जब ना पाता हूं। ऐसी क्या उलझन है मन में क्यों कुछ भी न कह पाता हूं। गलती किसकी छोड़ उसे अब मैं तुझको सच बतलाता हूं। भूल चुका हूं सारी शिकायतें देख तुझे बस खो जाता हूं।।