Atul Kumar Baranwal   (atulkealfaz)
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Joined 29 May 2018


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Joined 29 May 2018
9 APR AT 8:00

उस दौर में कौन तुम्हारे साथ था
जब दौर तुम्हारे साथ ना था

ध्यान रखना उसने तुम्हे
जरूरत समझा या जरूरी समझा

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5 APR AT 5:47

मुझे नहीं आता है, सही होना
मै गलत ही सही हूं
तुम समझ सको तो समझ लो
नही तो मै गलत ही सही हूं
क्या फर्क पड़ता है, क्या है, क्या नही
जो नही है, तो मै गलत ही सही हूं
जिक्र करना तेरा अब मेरी आदत है
तुझे न लगे सही, तो मैं गलत ही सही हूं
सुबह हो शाम हो, क्या फर्क पड़ता है
तेरे लिए तो, मै गलत ही सही हूं
तुम्हे समझना हर पल अब मुमकिन नहीं है
तुम समझो तो ठीक, नही तो मै गलत ही सही हूं
मुझे नहीं आता है, सही होना
मै गलत ही सही हूं

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4 APR AT 4:49

अनवरत चलती ये राहें न जाने किस मोड़ पर रुकेंगी।
फिर से अनवरत चलेंगी, किसी नए मोड़ पर रुकेंगी।
अंत में कहना चाहूंगा कि
राहें कहीं नहीं जाती,
मुसाफिर चलते हैं मंजिल की तलाश में
एक मंजिल पर पहुंच कर फिर किसी नए मुकाम की तलाश में।

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29 MAR AT 3:31

क्या फर्क पड़ता है
वक्त है गुजर ही जायेगा

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18 MAR AT 0:42

बहुत उम्मीद करनी पड़ती है
फिर से नाउम्मीद होने के लिए

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18 MAR AT 0:28

मेरी बातों को
ज्यादा ध्यान से
न समझना
समझ जाओगे तो
फिर ध्यान नहीं लगेगा

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17 MAR AT 16:00

प्राथमिकताएं
बदल जाती हैं,
तो कोई पालतू हो जाता है
और कोई फालतू

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17 MAR AT 11:05

अक्सर याद आता हूं मैं
लोगों को उनके वक्त पर
बस खुद ही याद नहीं करता मै,
खुद को, मेरे वक्त पर

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10 MAR AT 12:41

लिबास

नंगे ही आए थे, नंगे ही जायेंगे
मसला ये कपड़ों का,
बस कुछ पल साथ निभाएंगे
लिबास... हां लिबास कहते हैं इन्हें।
नंगे बदन की खूबसूरती दिखाने में
बस यही काम आयेंगे

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17 FEB AT 1:02

पतझड़ हो या सावन
दोनों हैं मनभावन

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