पुनः एक अवसर है, नए सपने संजोने का। सुनहरी यादों से प्रेरित होकर, दुखदाई पलों से सीख कर, चिर अग्रसर होने का। खामियों से जूझकर, खूबियों को संँवार कर, नए ढंग से नया होने का। अनुशासन अपना कर, मन को समझा कर, नई ऊंँचाइयों को छूने का। और गिरने संभलने के सिलसिले में, अक्सर,होठों पर मुस्कान लिए, हर नए एहसास को जीने का।।
जो रूठी है तू यूँ मुझसे, तो तुझको सच बताता हूंँ। क्या बीती है मेरे दिल पर, तुझे अवगत कराता हूंँ। कि बिना तेरे गुजारे हैं, ये मैंने सदियों जैसे पल। औ खोया यादों में रहकर ही अक्सर मुसकुराता हूंँ।।
तेरी एक झलक जो देखूंँ तो, मैं हर गम भूल जाता हूंँ। तुझे अपना समझता हूँ, तभी तो हक जताता हूंँ। खोया रहता हूंँ,अब इस तरह, तेरे ख्यालों में, कि खुद को कृष्ण कहता हूंँ, तुझे राधा बताता हूंँ।
प्राच्य मगध का विस्तार हूंँ मैं, महान अजातशत्रु, बिम्बिसार हूंँ मैं, सम्राट अशोक की तलवार हूंँ मैं, गणतंत्र का आधार हूंँ मैं भारतीय इतिहास का श्रृंगार हूंँ मैं, गौरवशाली बिहार हूंँ मैं।।
हूंँ कौटिल्य की नीतियांँ भी, बुद्ध-महावीर के विचार हूंँ मैं। गोविंद सिंह की जन्म स्थली, पावन गंगा का उपहार हूंँ मैं। मैं ज्ञान की परिभाषा भी, नालंदा महाविहार हूंँ मैं।
प्रथम सर्वोच्च पदासीन, राजेंद्र बाबू सा सरल हूंँ। तो कभी जे.पी की ललकार हूंँ मैं। हूंँ पीर अली सा निडर भी, और वीर कुंवर की हूंँकार हूंँ मैं। मैं ही गाँधी का चंपारण हूंँ, प्रथम सत्याग्रह का साझेदार हूंँ मैं। गौरवशाली बिहार हूंँ मैं।।