Atul Kumar   (AJ ✍️)
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Be unpredictable
Co-author @ Humrooh publication -"रिश्ते: बंधन कुछ एहसास के"
Joined 13 May 2020


Be unpredictable
Co-author @ Humrooh publication -"रिश्ते: बंधन कुछ एहसास के"
Joined 13 May 2020
26 MAR AT 9:17

हर रंग चढ़े प्रेम का,
कि सौहार्द के गुलाल हों।
और अपनेपन की रंगोली में,
सारा जहांँ खुशहाल हो।।

हो होली के हुड़दंग,
वो भी अपनों के संग।
सब गिले-शिकवे धुल जाएं,
और सद्भावना बहाल हो।।

कोई अछूता ना रहे,
सब रंगे हों एक रंग।
कि जाति-धर्म का भेद मिटे,
ये मानवता की मिसाल हो।।

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1 JAN AT 12:48

पुनः एक अवसर है,
नए सपने संजोने का।
सुनहरी यादों से प्रेरित होकर,
दुखदाई पलों से सीख कर,
चिर अग्रसर होने का।
खामियों से जूझकर,
खूबियों को संँवार कर,
नए ढंग से नया होने का।
अनुशासन अपना कर,
मन को समझा कर,
नई ऊंँचाइयों को छूने का।
और गिरने संभलने के सिलसिले में,
अक्सर,होठों पर मुस्कान लिए,
हर नए एहसास को जीने का।।

!! नूतन नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएंँ!!

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15 DEC 2023 AT 21:43

न मुझमें 'मैं' बाकी रहा,
न तुझमें 'तू' वही है ।
पर जीवन यूँ ही चलता है,
तो जो भी है सही है।।

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26 NOV 2023 AT 11:21

ये पल जो की गुजर जाएगा,
कुछ इससे भी सीखा हमने।
और वो जो कल आएगा,
देखें वो क्या सिखलाएगा!!

है चेहरे पर मुसकान प्रखर,
पर तूफान गूंँजता है अंदर।
कि कौन यहांँ पर किसका है!
यह भेद कौन समझाएगा??

मन ही जाने क्या है मन में!
और प्रेम है मन का आभूषण।
बिकते हैं ये मोती-मनके,
किंतु दुर्लभ है प्रेम रतन।।

जो कोई एक भी ऐसा हो,
सुख-दुख,सब में ही साथ रहे।
हो राहों में तब लाखों कांँटे,
फिर भी जीवन हो एक उपवन।।

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10 SEP 2023 AT 22:37

जो रूठी है तू यूँ मुझसे,
तो तुझको सच बताता हूंँ।
क्या बीती है मेरे दिल पर,
तुझे अवगत कराता हूंँ।
कि बिना तेरे गुजारे हैं,
ये मैंने सदियों जैसे पल।
औ खोया यादों में रहकर
ही अक्सर मुसकुराता हूंँ।।

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16 JUN 2023 AT 21:02

दिल की नज़र,
देखे जिधर,
तुझको ही ढूंँढे,
ओ! बेखबर!!

तुझपे फिदा,
कबसे मैं था,
तुझको नहीं है,
इसकी खबर।

मन की लगन,
ऐसी लगी,
सूना सा लगता,
तुझ बिन सफ़र।।

ख्वाइश है अपनी,
बढ़ती रहे,
चाहत ये यूँ ही,
सारी उमर।।

तुझसे जुड़ी है,
खुशियांँ भी मेरी,
तू रहगुजर,
तू ही है हमसफर।।

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23 MAY 2023 AT 10:42

नवीकरणीय प्रयोग में लाएंँ,
अनवीकरणीय,व्यर्थ ना गवाएंँ।
ये ऊर्जा के सीमित स्रोत,
अगली पीढ़ी को भी मिल पाएँ।।

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6 MAY 2023 AT 10:27

अपनी गति से चलता जा,
कोशिशों से तो ना मुकर।
चलना ही अपने वश में है,
तो अंजाम की ना कर फ़िक्र।

हालात बदलते रहते हैं,
गिरकर भी आगे बढ़ता जा।
हार-जीत है मन की बात,
तो हार में भी संँवरता जा।

हाँ!अपनी गति से चलता जा,
और खुद को बेहतर करता जा।।

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29 APR 2023 AT 23:16

तेरी एक झलक जो देखूंँ तो,
मैं हर गम भूल जाता हूंँ।
तुझे अपना समझता हूँ,
तभी तो हक जताता हूंँ।
खोया रहता हूंँ,अब इस तरह,
तेरे ख्यालों में,
कि खुद को कृष्ण कहता हूंँ,
तुझे राधा बताता हूंँ।

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22 MAR 2023 AT 8:04

प्राच्य मगध का विस्तार हूंँ मैं,
महान अजातशत्रु, बिम्बिसार हूंँ मैं,
सम्राट अशोक की तलवार हूंँ मैं,
गणतंत्र का आधार हूंँ मैं
भारतीय इतिहास का श्रृंगार हूंँ मैं,
गौरवशाली बिहार हूंँ मैं।।

हूंँ कौटिल्य की नीतियांँ भी,
बुद्ध-महावीर के विचार हूंँ मैं।
गोविंद सिंह की जन्म स्थली,
पावन गंगा का उपहार हूंँ मैं।
मैं ज्ञान की परिभाषा भी,
नालंदा महाविहार हूंँ मैं।

प्रथम सर्वोच्च पदासीन,
राजेंद्र बाबू सा सरल हूंँ।
तो कभी जे.पी की ललकार हूंँ मैं।
हूंँ पीर अली सा निडर भी,
और वीर कुंवर की हूंँकार हूंँ मैं।
मैं ही गाँधी का चंपारण हूंँ,
प्रथम सत्याग्रह का साझेदार हूंँ मैं।
गौरवशाली बिहार हूंँ मैं।।

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