आज़ादी का चोला ओढे, आज भी गुलाम है हम।
चंद सिक्को के खातिर देखो, फिरसे कहि निलाम है हम
1 दिन के जीवन ख़ातिर, 6 दिन है गुलाम हुए।
समझदारी के बोझ तले, अंदर से नादान है हम।-
कुछ शायर भी होते है
उजले शहर के अंधियारे गलियारे में,
वो जाने से डरती है।
रात को दफ़्तर में देर हो जाये कभी,
तो घर तक जाने में डरती है।
किसी पे इतना विश्वास था कभी,
अब किसी पे विश्वास करने से डरती है।
वो अकेले में परछाई से,
और भीड़ में, भीड़ से डरती है।
वो नज़रो की हैवानियत से,
न पूछे सवालों से डरती है।
वो डरती है, कही अकेले जाने से,
वो पीछे रह जाने से डरती है!-
माना दुनिया से कुछ कटा हूँ मैं,
पर अपने करीब पहुंचा हूँ मैं
वो कहते है, कुछ करते तुम दुनिया के खातिर
पर अपनी दुनिया में कुछ उलझा हूँ मैं
हर दुनिया से मिलूंगा कल, जब कल सामने होगा
पर जो साथ है अभी, उसके साथ हूँ मैं
न कर कोई बात मुझसे इंसानीयत की अभी
बड़े दिनों बाद अपने लिये, खुदगर्ज़ हूँ मैं
कुछ सफ़े लिखने है अभी पुराने किरदारों के
थोड़ा तो आराम करू, जब रुका हूँ मैं
कुछ ऐसा यह दौर आया है जाने कहाँ से
न मसरूफ़ हूँ ए ज़िन्दगी , न तन्हा हूँ मैं-
मेरी ख़्वाईश है कि, मैं फिर कागज़ कोरा हो जाऊं।
कोई माफ करे तो, मैं भी दामन से गोरा हो जाऊं।।
कई लांछन लगाए है किसीने इस चेहरे पर।
अब चेहरा कैसे बदलूं मैं, क्या आईना हो जाऊं।।
ए दुनिया अब मैं बेगुनाह साबित हो गया हूँ,
क्या फिर तेरा हो जाऊं।
स्याही लिखा कागज़ हूँ मैं, कैसे कोरा हो जाऊं ।।-
जब-जब नज़र उठाई किसीने जम्बूद्वीप की घाटी पर
मिट्टी कर डाला उसको, हमने उसी की माटी पर
इतिहास याद करे दुनिया, जब हमने शस्त्र उठाये थे
एक नए सूरज को हम दुनिया के पटल पर लाये थे
और जो भी यह कहता हो, की भारत क्या ही कर लेगा
याद रहे हम ही थे जिसने सिकंदर खाली हाथ लौटाए थे-
नफरत के कुछ बोल किसीके
तलवार सा सीना चीर गए
और दिल कुछ यूं घायल हुए
जब नज़रों के उसमे तीर गए
हम थे जैसे वैसे न रहे
कितने अरसे अब बीत गए
कुछ अपनो से हारे हम
कुछ दुश्मन हमसे जीत गए-
थोड़ी ज़िद ज़रूरी है
थोड़ा ऐतबार ज़रूरी है
इश्क़ की कश्ती में
कई पतवार ज़रूरी है
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हमारी चुपी को किसीने कमज़ोरी समझ लिया था
भीख में मिली ज़मीन को जागीर समझ लिया था
आज भी हिंदुस्तान में भगत और आज़ाद है
सारी आवाम को किसीने गांधी समझ लिया था
हमारी शौर्य गाथा का परिणाम गणतंत्र हमारा है
परेड के हथियारों को झांकी समझ लिया था
कुछ बेसाकियो के सहारे कोई चलके दूर तक आया था
अपनी बेसाकियो को किसीने पैर समझ लिया था
जब जब आँखें उठाई किसीने, हमने शीश काटे है
सिंह की दहाड़ को किसिने गीदड़ भापकि समझ लिया था
कारगिल के साहस का, आज यह दिन सुन्हेरा है
जब किसीने दरियादिली को कायरता समझ लिया था-
इश्क़ की गहराइयों में उतरके तो देख
डूब जाए तो क्या, डूबके तो देख
एक तरफ़ा प्यार भी, प्यार होता है
डरता क्यों है, एक बार पूछके तो देख
गर न हुआ मुकम्मल ये प्यार का फ़साना
दिल ही तो टूटेगा, तोड़के तो देख
साहिल की ओर देखने से मंज़िल नही मिलती
कश्ती ले, और क्षितिज की ओर बड़के तो देख
नज़रो से, देख लेते, तो दुनिया क्या ही दिखती
आँखे बंद कर, फिर आसमान के पार भी तो देख-
ये इश्क़ है, इश्क़ को, इश्क रहने दो
दिल की बातें, दिल में दबी रहने दो
यह ज़माना, नज़र लगा देगा तुम्हें भी
चेहरे की मुस्कान, लबों तक न आने दो
इश्क़ है, इश्क़ को, इश्क रहने दो-