अतुल अवधिया   (अतुल अवधिया)
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Joined 28 March 2017


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Joined 28 March 2017

राधा गई हैं पार्लर में नव पुष्प रोपित हो गए हैं,
धूप में करते प्रतीक्षा श्रीकृष्ण कोपित हो गए हैं,
देखकर यह दृश्य नारद मन ही मन मुस्का रहे हैं,
प्रेम के मनुहार के दिन अब विलोपित हो गए हैं.

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राधा गई हैं पार्लर में नव पुष्प रोपित हो गए हैं,
धूप में करते प्रतीक्षा श्रीकृष्ण कोपित हो गए हैं,
देखकर यह दृश्य नारद मन ही मन मुस्का रहे हैं;
प्रेम के मनुहार के दिन अब विलोपित हो गए हैं.

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रोज़ तरई के पंगत सुधारत रहे,
जहाजन का छत पर उतारत रहे,
मोबाइल टीवी से बेहतर रहा रेडियो,
रात आसमां के नीचे गुजारत रहे।

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व्यक्ति को व्यक्तिपरक नहीं विचारपरक होना चाहिए। व्यक्तिपरक व्यक्ति,व्यक्ति विशेष के दोषों के लिए अधिक उत्तरदायी होता है अपितु गुणों के।

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25 DEC 2023 AT 11:17

ख़ाली हो जेब रिश्तेदार व्यापार परिवार अच्छा नहीं होता,
दूसरों की बुराई कर के अपना क़िरदार अच्छा नहीं होता,
जीना जिंदगी अपनी, ज़मीर को जिंदा रखके,मशवरा है,
असल मायने में बिना मूछों का सरदार अच्छा नहीं होता।

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13 DEC 2023 AT 21:17

मोहब्बत में किया वादा पसंद है,
मीठा हमे थोड़ा ज्यादा पसन्द है,
रंगीन होते हैं नज़ारे खयालों में ;
अक्स हमें हमारा सादा पसंद है।

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21 MAR 2023 AT 16:30

सब झमेला हो गया है,
मन कसैला हो गया है,
कप ने कप का साथ छोड़ा
कप अकेला हो गया है...

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18 MAR 2023 AT 22:51

उजले पहाड़ों से कारे-कारे समंदर पर,
भागी-भागी जाय मारे मारे समंदर पर,
नदी को मालूम है समंदर की कई नदियां,
नदी क्यों पगलाई खारे-खारे समंदर पर

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नाना के क़रीब था नानी के पास था,
दादा का दुलारा था दादी का ख़ास था,
जिसकी इक मुस्कान पे मर मिटा देहात
मैं उस गांव का अकेला बदमाश था।

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14 MAR 2023 AT 12:21

"फूल"

फूल मुझे विरासत में नहीं मिले
फूल,
इसके लिए मैंने सींचे हैं
बंजर,
बंजर में उगी
झाड़ियां,
झाड़ियों में पनपे कांटे संग पनपी
डालियाँ,
डालियों में झूलती
कोपलें,
कोपलों में सहेजी हुई
कली,
कली की परिपक्वता का
फूल,
पीढ़ी दर पीढ़ी का
माली,
माली की बेकदर
पीढ़ी,
माली का हाथ
ख़ाली।

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