Atul Arya Aryan atul aryan   (Atul arya)
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Teaching and learning
Joined 10 June 2020


Teaching and learning
Joined 10 June 2020
27 DEC 2023 AT 7:11

बीतते वर्षो में एक सिलसिला फिर बही रहा,
कुछ ख्याब पूरे हुऐ, कुछ अधुरा रहा !!A.a!!
#bye bye 2023

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25 DEC 2023 AT 5:34

अनचाहे आखों से तेरे दीदार होंगे,
एक नही कई बार होंगे,
कल तक तो थे अजनबी हम तुम,
अब से एक दूजे के पालनहार होंगे !!
#A.a #सगाई

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20 NOV 2023 AT 6:49

एक समुन्दर से गहरे है अरमान मेरे , पर
एक तेरे नखरे है जो खत्म ही नही होते !!A.a!!

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16 OCT 2023 AT 6:09

ये मोहब्बत का ज़ख्म हैं, मुर्शद
अब क्या कोई वैध इलाज कर पायेगा,
कुछ टूटी होती तो जुड जाती,
यहां तो दिल टूटा हैं, मुर्शद
अब कहा कोई इस पर मरहम लगाएगा !!A.a!!

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3 OCT 2023 AT 13:36

हम आज भी बैठते है तन्हा उसी पीपल की छांव में,
रातों को अक्सर, तेरी यादों संग,चाय की प्यालों संग,
अब फर्क बस इतना है , पौष की भी सर्द रातों की
ये ठंडी शरसराती हवा, हमे बहकाती नहीं हैं !!A.a!!
#alone # यादें सुनहरी

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3 OCT 2023 AT 12:38

मुक्कमल ना हो ईश्क हमारी, कोई ये दुहाई दे गया,
कमबख्त कोई अपने हिस्से की हमे रुसबाई दे गया ,
हम बड़े भोले थे,उनसे इश्क कर बैठे,
अब खुदी ने खुदी को है , तन्हाई दे बैठे !!A.a!!

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3 OCT 2023 AT 12:02

अपनी इश्क में बंदिशों की हद क्या कहें,
उन्हें चाहना भी हैं, और सबसे छुपाना भी !!A.a!!

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18 JUL 2023 AT 14:49

बचपन की ख्यावों का सा न हमे दिन मिलेंगे, सोचा न था।
उम्र की बढ़ती इस दहलीज पर,कुछ यूं भी हमे गम मिलेंगे
सोचा न था !!A.a!!

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7 JUL 2023 AT 22:33

की शायद तुम मिलों !
हालांकि अब तू मेरी हो नहीं सकती लेकिन, बैठा हूं आस लिए की शायद तुम मिलों !
घूम आता हूं मैं हर सुबह , उन्हीं ताल किनारों पे की शायद तुम मिलों !
चूम आता हूं उसी कदम की डाल को फिर मै की शायद तुम मिलों !
हर रोज गुजरता हूं मै अब भी, तेरी घर की उन्हीं राहों से की शायद तुम मिलों !
मैं अब भी जाता हू हर शाम, उन्हीं बगीचों में की शायद तुम मिलों !
मैं आज भी संजोता हूं अपने ख्वाब संग तेरे , की शायद तुम मिलों !
मैं बांध आता हू हर बार,मन्नतों के धागों को वहीं फिर से की शायद मुझे तुम मिलों !
हवा की राहों में बंद आंखें किए,
अपनी बाहों को फैलाकर सोचता हूं तुम्हें , की शायद एहसासो में मुझे तुम मिलों !
गांव की हर गली चैराहों में आवारा हुए, घूमता हूं आज भी मैं, की शायद तुम मिलों !
चांदनी भरी रातों में, छन-छन, खन - खन की सी तरानों में, सावन की बरसातों में , गुनगुनाते अपनी तरानों में, अपनी ख्वाबो ख्यालों में सोचता हूं मैं तुम्हें की शायद तुम मिलों !
की शायद तुम मिलों !
की शायद तुम मिलों !
# love life # A.a #

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9 MAY 2023 AT 22:03

हमने ढूंढा
की फिर मिलो तुम कही सुबह की
बागो,शामों की अज़ानो में
की मैने तुम्हें तस्वीरों के सहारे नहीं,
अपनी यादों के सहारे ढूंढा।
कि मिलों तुम फिर मुझे मेरे उन्ही
यादों में, उन्हीं यादों में
की हमने तुम्हें तस्वीरों के सहारे नहीं, अपनी यादों...
Last ... Part 5 !!A.a!!

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