तेरी खुशियों को छोर, तेरे गम को उधार लिया है
तेरे आंसुओं को मैंने पन्नों पर उतार लिया है
पर्वतों से गिरते पानी का मोल कहा अब
जितना तेरे आंखों का समुंदर मैंने देख लिया हैं।।
इन उदास आंखों में लहर हैं इंतजार ए ईश्क की
सवाल तेरे चौखट पे आके छोर दिया हैं
ना रुके नैना मेरे, तुझे एक टक देखते हुए
जब उड़ते बालों को तूने सवार लिया हैं।।।
ये आंखें जो भीगी था एक छोटे से मुस्कान के साथ
उन्हीं आंसुओ को मैने पन्नों पर उतार लिया है
तेरी खुशियों को छोर,तेरे गम को उधार लिया।।।।
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ये राते भी कितनी अजीब है।
यादों को साथ लाया करती हैं।
सब को सुलाकर रातों में,
बस मुझे जगाया करती हैं।।
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दिसंबर की ठंड हो और साथ तुम्हारा हों।
ईश्क की बात हो और नाम तुम्हारा हों।
हाथ में चाय और दिल आवारा हों।
तुम्हें देखकर सोचता रहूं,
शायद ही तुमसा कोई प्यारा हों।-
हर आदत में तेरी बस एक आदत अच्छी थी
चाय के साथ कही तेरी हर बात सच्ची थी
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ना हो दिल में कुछ तो इंकार कर देना।
मेरे अच्छे के लिए मुझे बेकार कर देना।
झूठे साथ के बजाए दिल से अलग कर देना।
सच कहना, फिर चाहें सब बर्बाद ही कर देना।-
हम गलत थे कल पर आज बुरा नहीं हूं।
कोशिशों में कमी थी पर इरादों में बुरा नहीं हूं।
गुस्सा करलो ,ताने मारो,पीटो हमें , चिल्ला लो
पर साथ छोड़ दो यार इतना भी बुरा नहीं हूं।
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तूझे खोने के साथ खुद को भी खो दूंगा।
जिंदा रहुंगा पर सांसें लेना छोड़ दूंगा।
दिल का हाल चेहरे से ना पता करना।
हंसता रहूंगा पर खुश रहना छोड़ दूंगा।
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सांझ-सवेरे बैठ के दूर तक निहारता हूं
ख्यालों में अक्सर तुझे मैं पुकारता हूं
बेचैन इस दिल को न इंतजार है कल की
हाथ में तस्वीर लिए तुझे आज में तलाशता हूं।
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ऐ जिन्दगी एक एहसान कर दे
जेब खाली है,पर तू उधार कर दे
इस मुसाफिर का भी एक मकान कर दे
तूझे जी सकूं ऐसा कोई रास्ता आसान कर दे-
सफर-ए-जिन्दगी में सब साफ़ दिख रहा है
काबिलियत पैसों में बिक रहा है,
जिन्दगी लम्बी है और सपना बिखर रहा है
बीस की उम्र में बस मौत दिख रहा है
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