Hi YQ,
It must be your need for the time.. but your ads after every 5 mins and compelling to go for premium membership and other such stuff are really making one unhappy. I understand nothing comes free these days but I think your approach and way of presentation of showing ads and asking for membership could and should change.
Just an advice..
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एक कोना खाली सा हो जाएगा मेरे दिल का....
जाते जाते एक एहसान करना मुझ पर
उस कोने को बस अपनी यादों से सजा जाना
और वो झरोखा भी बुझा देना
जिस से तेरे आने की आहट आती थी
या फिर..
दबे पांव चले जाना।।-
काफ़ी अरसे हो गए है इस बात को
बस इल्म न होने दिया तुम्हे हमने
दबा के रखा है हमने अपने इस जस्बात को
कहीं टूट ना जाओ तुम बस यही वजह है
वर्ना बिगड़ते देर नही लगेगी, इस हालात को।।-
मुझे देख लेना अगर चांद नज़र न आए कभी
जो मैं भी नज़र ना आऊ,
तो ज़रा बादलों के हटने का इंतजार कर लेना
फिर भी न दिखाई दू मैं
तो फिर सितारों से ही इज़हार कर लेना।।-
कुछ का नाराज़ हो जाना भी जरूरी है
यूं तो खुश सबको करना चाहता है हर कोई
मगर थोड़ा खुद खुश हो जाना भी जरूरी है
जरूरी है की ख्वाहिशें खुद की भी मरने न दें हम
ख्वाहिशों को पूरा करने में कुछ लोगो से दूर हो जाना भी ज़रूरी है।।-
या कोई और तुम्हारी ज़रूरत बन गया है
अब मुस्कुराने की वजह हम न सही
क्या अब रातों का चांद कोई और बन गया है।।-
कि बस पुकार भर लेना हल्के से, हम दौड़े चले आएंगे
पुकार अब गूंज बन चुकी है, और उनकी कोई खबर नहीं
जो चल पड़ो तो हर रास्ता मेरे दिल तक पहुंचा देगा तुम्हें
ऐसा कहने वालों की दहलीज तक भी अब कोई डगर नहीं
वो तो सफर पर निकल पड़े , कभी न लौटने के लिए
हमें तो अब अकेले ही चलना है, अब कोई हमसफ़र नहीं।।
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एक अंधा मोड़ भी आता है
कुछ दोराहे भी आते हैं
कुछ तंग गलियां भी आती है
कुछ सुनसान सड़के भी मिलती हैं
और
कुछ हसीन रास्ते भी आते हैं
मंजिल बस चलते रहने वालों को मिल पाती है
बाकी जिंदगी भर सफर में रहते हैं।।-
कुछ पन्ने मिले जिन पर खालीपन उकेरा गया था
थोड़े जस्बात मिले, जिन से खेला गया था
गिनती के रिश्ते मिले, जिन पर कुछ धूल सी जम चुकी थी
ढेर सारे किस्से मिले, जो अब कहानी बन चुके थे
थोड़ी हिम्मत मिली जो अब टूट सी चुकी थी।।-
तो वो सूखे फूल भी सांस ले लेते हैं
जो किताबों में कहीं गुम है अभी
वो मुस्कुराहट भी दबे पांव आ जाती है इन होंठो पर
जो तुम्हारे साथ होने पर आती थी कभी
सैलाब सा उमड़ उठता है उन यादों का
जो बस अब बीता हुआ कल बन चुके है सभी।।-