।। अटलाहट ।।   (🗣️🏹AmanAkrantJainBaraw)
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Joined 9 June 2019


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Joined 9 June 2019

किसी के करने से कुछ होता।
तो मै आज कुछ न होता।
होता भी अगर तो मै कुछ और होता।
किसी के करने से कुछ होता।
तो मैं आज कुछ न होता।

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बो नाराज न हो जाए इस लिए में उनसे प्यार नहीं करता था।
बो नाराज है अब हमसे क्योकि में उनसे प्यार नहीं करता था।

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तुम बस खैरात में मिली इन दुआओं के भरोसे न रहना।
कभी खुदा से खुद की खैरियत की भी दुआ करते रहना।
मतलब के बाद तुम्हें क्या ये लोग खुदा को भी भूल जाएंगे।
खैरात की इन फूल सी झोली में बस तुम्हें काँटे नजर आएँगे।

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ज़मीन पर सोते-सोते बो दिन गुज़र गए।
मखबल का गद्दा ख़रीदा और हम गुज़र गए।

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कितनो ने क़ोशिश की पर में मरा नहीं।
मेरी मौत अब बस एक माजक बन गई।
पर हमें मारने की क़ोशिश करने वाले हर आवारा की,
मुफ़्त में जिन्दिगी भर रहने - खाने की जुगाड़ बन गई।

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उम्र के बढ़ने से देखो हम भी बढ़ने लगे।
जो चलना भी नहीं जानते थे।
बो देखो दौड़ के पहाड़ चढ़ने लगे।
उम्र के बढ़ने से देखो हम भी बढ़ने लगे।

स्कूल की हर कक्षा में कुछ बड़ा करने के बड़े-बड़े सपने बढ़ने लगे।
देखो हम लक्ष्य के लिए पढ़ने लगे।
कॉलेज की हर कक्षा में ये बड़े-बड़े सपने अपने आप ही घटने लगे।
देखो हम लक्ष्य के लिए लड़ने लगे।

उम्र के बढ़ने से देखो उम्र ही घटने लगी।
जो कल दौड़-दौड़ के चलते थे।
बो देखो चलते-चलते फिसलने लगे।
उम्र के बढ़ने से देखो उम्र ही घटने लगी।

उम्र के बढ़ने से देखो हम भी बढ़ने लगे।
उम्र के बढ़ने से देखो उम्र ही घटने लगी।

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बो गलतिया करते रहे, ये गलती हमारी थी।
पर अब बो हमसे रूठते ,
उससे पहले ही मैने उने मनाना छोड़ दिया।
बो हमें नजरअंदाज करते,
उससे पहले ही मैने उने नजर आना छोड़ दिया।

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इतना पढ़ लिया।
पर पढ़ाई बोलने में शर्म आती है।
नौकरी लग गई।
पर कमाई बोलने में शर्म आती है।
जिन्दिगी ई.एम.आई. से चल रही।
पर उधारी बोलने में शर्म आती है।

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उनकी हर बात में अब एक नया सवाल होता।
सवाल ऐसा की चुप रहू तो झगड़ा,
और बोल देने पर बवाल होता है।

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हर्ष के बिना संघर्ष पूरा नहीं होता।
संघर्ष के बिना सफलता।

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