हर किसी क्यूं का जवाब है उसके पास
मगर जब बारी हमारे सवालों की आती है;
तो वो सिर्फ ख़ामोशी जताते हैं ।
अक्सर ये होता आ रहा है जिस चीज की ख्वाहिश दिल से की वो चीज छोड़ कर दूर चली गई ।
बेरंग सी जिंदगी की तस्वीर ऊही रंगीन होने की ख्याबों में बेरंग रहे गई।
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मै भटका हुआ मुसाफिर; जिंदगी भर ढूंढता रहा राह मेरी।
ये तो था मन का छल ; जो दिखाता रहा राह अजनबी ।-
बेरंग सी दुनिया में मोहब्बत के रंग भरना सीखा कर गुजरते गुजरते जिंदगी उम्मीदों के साथ जीना सिखा कर चली गई ।
हसीन से शाम के नजारे देखते देखते गुजरते वक्त के साथ सुबह की ख्वाहिश में चैन से जीना सिखा कर गई
गुजरते गुजरते ये जिंदगी आपनी दास्तान लिखना सिखाकर चली गई ।
ए जिंदगी तू जीने के मायने सिखा कर चली गई।-
अजनबी बन कर आई थी अनजान बन कर चली गई;
जिंदगी गुजरते गुजरते खूब सिखा कर चली गई।
कभी नाज था तकदीर पर हमें गुजरती जिंदगी तकदीर को किस्मत के मायने में बदल गई;
जिंदगी गुजरते गुजरते कुछ चीजें किस्मत पर छोड़ ना सिखा कर चली गई।
यूं तो खूब ख्वाब देखे थे इस जिंदगी को गुजारने के लेकिन गुजरते गुजरते जिंदगी हकीकत में जीना सिखा कर चली गई।
To be continue >>>>-
मासूम सी वो यादें सुलजती है आंखों में ,
धड़कनों का लिबास पहन के वो यादें याद आती है ।-
चाहत दिलं मे मोहब्बत की आज भी है ।
बस जताना छोड़ दिया है ।
ऎसा नहीं है कि मैंने दिल लगाना छोड़ दिया है ।
मुड़कर जब लौट आओगी उसी गली में
जहा छोड़ दिया था हात मेरा
वहीं मिलुंगा मै तुम्हें यादों में खोया हुआ ।
आ कर पूछोगी तुम मुझे पहेचान क्या ?
मैं इन्कार तो नहीं करूंगा पहचानने से
मगर यादों में अपने खोया रहूंगा ।
फिर इक बात कहूंगा
तुम आज भी दिल में हो मेरे लेकिन
मैंने वो ख़्वाब छोड़ दिए हैं ।
जिंदगी जीने के रास्ते मैंने यादों के साथ चुन लिए हैं ।
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साथ चला था,
वो एक इश्क का नजारा था,
खूबसूरती से टूटा एक ख्वाब था,
जान कर भी अनजान था ,
वो एक वादा था ,
जिसका मुस्तक़बिल भूल जाना था ।-
एक नात असत रक्ता पलीकडचं ,
मनाच प्रेमाच आपुलकीचं हक्काचं ,
आयुष्याच्या प्रवासात सोबत असणारं,
सुखात सामिल होणारं आणि
दुःखात सावरणार ,
वेळेला ओरडणार वेळेला समजावणार,
सुंदर जीवनाचा अतुलनीय हिस्सा असत ,
कुटुंबाचा एक भाग होत,
काळजाचा एक तुकडा होत ,
हे नात असत मैत्री च ,
आयुष्यात असच येत आणि कायमच बनुन राहत .
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ये साल उसके यादों में जीने का था ।
दिल के धड़कन और जज़्बातों के इंतहान ले रहा था ।
मुझसे पूछ रहा था नाम ,
मेरे और उसके रिश्ते का ।
मैंने भी कहा उसे "
दिल से दिल जुड़े है मगर कुछ रहा भूल गए है ।
ये इक रिश्ता
जो है बेनाम सा ।
मालुम है मुझे ,
ना हासिल हुआ ,
ना जुदा हुआ ,
ना मैंने खोया उसे ।
ये रिश्ता है दो दिलों का
मोहब्बत का नया चेहरा है ये ।
ये जरूरी नहीं की
किसी नाम में तब्दील करू इसे ,
क्योंकि ये इक रिश्ता है ही बेनाम सा ।"
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उनके जाने पर दर्द ए इश्क़ का जाम
हमने कुछ ऎसा पिया ,
जिंदगी तो गुजर गई मगर नशा उस जाम का
उतर ना सका ।
कसुर शराब का नहीं है जनाब ,
हम तो हर जाम में उनका चेहरा तलाश करते है ।
अब जब लडखडाए कदम मदहोशी में ,
तो उही शराबी ना कहना दीवाना कह के पुकारना
जनाब दिल को भी अपनी गुजारी जिंदगी का
हसीन नाम मिल जाएगा ।-