!! संपूर्ण चराचर जगत ही महाकाल कॉरिडोर !!
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जब बुद्धि पर आधुनिक चकाचौंध के मोतियाबिंद का आवरण चढ़ता है, तब विवेक में स्वतः ही अंधापन आ जाता है।।
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कभी - कभी समय से पूर्व
विचारों की "अति प्रौढ़ता"
किसी भी रिश्ते में खटास उत्पन्न कर सकती है।।-
वास्तविक प्रेम क्या है???
जब आप आपकी मम्मी को बोले कि मुझे कल सुबह चने की सब्जी खाना है।
और मम्मी शाम को चने भिगोना भूल जाए ।
लेकिन आपको सुबह पता चले कि आपकी दादी रात को 2बजे नींद में से उठ कर किचन में चने भिगो रहे थे ।।
मेरे लिए यही वास्तविक प्रेम है।।
इसका ये कतई अर्थ नही है कि मम्मी का प्रेम कम है उनकी अपनी जिम्मेदारियां है जो हर दायित्वों में सर्वोपरी होती हैं।।
यहां बात भावना कि हो रही कि दादी को मैंने इस चीज के लिए बोला भी नहीं बल्कि उन्होंने मम्मी और मेरा संवाद सुन कर, मेरी भावना को गहरी नींद में भी याद रखा।।❤️ और मेरे लिए ये सबकुछ किया।।-
मानव सभ्यता का अध्ययन किया तब समझ आया "आदिवासी" किसी क्षेत्र में परिबद्घ होने वाले लोग नहीं अपितु "आदिवासी" उच्च मानव सभ्यता की आधार शिला है। आदिवासी एक जीवन शैली है जो मानव की प्रकृति के साथ सामंजस्य की फलश्रुती है।
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आधुनिकता के इस दौर में सम्मान !!
पैसे और सौंदर्य के समानुपाती होता है।। अर्थात आपको उतनी ही मात्रा में सम्मान मिलेगा जितनी मात्रा में आपके पास पैसा व सौंदर्य होगा।।-
प्रकृति के संपर्क में रहते हुए मानवीय मूल्यों को जो निरन्तर पोषित करता है वो "किसान" कहलाता है।।
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