.....— % &एक रोज़ जब हम आज से बहुत दूर होंगे~
अपने वजूद के मायने ढूंढते
अगली सांस तक लेने के लिए वजह ढूंढते हम,
इक मोड़ पर आकर
जब इक नजर ताउम्र चली
जिंदगी और जीने से अपनी जद्दोजहद पर डालेंगे
तो पाएंगे , जीना शायद इतना भी बेमतलब न था
जितना हमने उसे बनाए रखा
अपने वज़ूद का मतलब खोजते
किसी रोज़, जब एक अरसे से मुड़ी हुई कागज की पर्ची
पर , लगभग स्याही छोड़ चुके अक्षरों में से ढूंढ
पुराने कीपैड में , नंबर डायल कर रहे होंगे
तो लगेगा , की मेरा इतना कर पाना भर भी काफी था किसी के लिए
यहां तक आना बेमकसद भी नहीं था
जीने के लिए किसी बहुत बड़ी वजह
की शायद जरूरत भी नहीं है!— % &-
सब निश्चित होना,
घुटनभरा है मेरे लिए—
अंततः अनिश्चित्ताओं में ही मुझे
सांस लेने की संभावनाएं
दिखाई पड़ती हैं...-
तुम प्रेम देना
इस संसार को
बेहिसाब प्रेम देना
इतना,
की नफरत से लबालब भरे
इस संसार में
तुम्हारा श्वास लेना भर
एक क्रांति लगे-
The Internet sells us insecurities first, then beauty products, and then talks about
"body positivity."-
When somebody comments "nice , wow , बेहद खूब , उम्दा प्रस्तुति" on your first quote.
— % &When you are reading an intense argument in a comment section and accidentally like one of the comments
— % &Me waiting for my 3 loyal readers to like and comment on my quote — % &.....— % &......— % &When somebody gifts you rose for the first time — % &"goodbye yq" ki post karne ke 1½ din baad , besharmi se yq pe vapasi karte huye m — % &-