क्या कहा...!
तुम ! मेरे लिए, मुझे चुनोगी...?
नहीं नहीं... ये अहसान किस लिए
मज़ा तो तब था,
जब अपने लिए मुझे चुनती।-
G1
Asur
उदास हूं निराश हूं,
मैं MA , BA पास हूं।
दिल कर रहा कि, मार दूं ख़ुद को...
फिर सोचा...
अपना ना सही, पर अपनो का तो ख़ास हूं।-
बारिश में, आषाढ़ की महकती मिट्टी सी...
शीत में, पौश के सुबह के किरण सी...
गर्मी में, आम के बगीचों की छांव सी...
और अकेले में, कभी ना ठिक होने वाली घाव सी...!
याद तो आती ही हो तुम...-
वो चैन से सो रहे हैं शहर बेंचकर,
कोई सुहाग बचा रहा है जेवर बेचकर;
बाप ने उमर गुजार दी घर बनाने में,
बेटा उसकी सांस ख़रीद रहा है घर बेंचकर;
बर्बाद हो गए कई घर दवा खरीदने में,
और कुछ लोग तिजोरी भर गए जहर💉 बेंचकर...!-
उसकी मिसाल तुने दी , जो काम "हम" ना कर पाये...!!!
हम तुझको याद करते है.....
कि ताज़ा "जख्म"
कर पायें।।।
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Us raat uske samne BEKAMEEZ ho gya re dil...
Hayy ___ BADTAMEEZ ho gya re dil.!!!-