प्रेम करने से ज़्यादा ख़ूबसूरत है
प्रेम की प्रतीक्षा करना!-
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UP-30 (Hardoi)
कुछ इस तरह खूबसूरत रिश्ते टूट जाया करते हैं,
जब दिल भर जाता है तो लोग अक्सर रूठ जाते हैं।-
पंछी उड़कर घर लौट आते हैं,
तुम न घर लौटते हो,
न घाट,
सही से उड़ते भी नहीं !-
कल तलक हम से करे वादे, आज किसी और के हाथ थामें....
गायब हो चुके हैं वो अब, न जाने किस के साथ भागे-
अपने मूल रूप को जितना अधिक ढांकने में मनुष्य सफ़ल हुआ है, वह उतना ही सभ्य कहलाता है।
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यह कैसी रिश्तेदारी या मित्रता है कि अपने आदमी को गलत करते देखकर भी उसे चेताया न जाय। यह तो इसी तरह हुआ कि कोई खन्दक में गिरा जा रहा है और उसका मित्र दूर खड़ा देख रहा है। उससे पूछा कि क्यों भाई, तू उसे क्यों नहीं रोकता? तो वह कहता है –’जरा आपसी मामला है; रिश्तेदारी है, वे बुरा मान जायेंगे। गिर ही जाने दो।’
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कौन हूँ मैं आपकी?
न दूर हूँ न पास हूँ, थोड़ी-सी खास हूँ पर प्राथमिकता में नहीं।
मिल सकती हूँ ख्वाबों में, कल्पनाओं में पर छू लेने का सामर्थ्य नहीं।
कौन हूँ मैं?
कुछ भी तो नहीं...!!-
प्रेम मे ठगे गये लोगों का ठग लिया जाता उनका
आत्मविश्वास ,उम्मीदे, भरोसा,प्रतिक्षाएँ,और संपूर्ण प्रेम-