तकलीफ ये नहीं कि कल रात तेरी बाहों में कोई और था
ग़म तो इस बात का है कि तेरे ख़यालों में मेरा ज़िक्र भी न था-
अमृता मैं तुम्हारे ख्वाबों की
तुम हकीकत में मेरे इमरोज़ बन जाना
इस बार ज़िन्दगी की शाम में मिले हो
अगले जनम में ज़िन्दगी बन जाना-
।। जननी जन्मभूमिस्च स्वर्गादपि गरीयसी ।।
जिस जन्मभूमि के लिए भगवान ने स्वर्णमयी लंका का त्याग किया था आज उसी अयोध्या की धरती का कण - कण राम नाम रूपी स्वर्ण से शोभायमान है ।
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घंटों खुले आसमान के नीचे तेरी बातों की चाशनी को चखना
मेरी बाहों के तले तेरे मासूम बचपन का गुजरना
तेरे आने की खुशी और तेरे जाने पर घंटों सिसकना
इस रिश्ते की गाँठ को रोज प्यार से बुनना
मेरी बाहों के तले तेरे मासूम बचपन का गुजरना-
जमाने में होंगे आशिक़ कई पर वतन जैसा सनम नहीं देखा
नोटों में लिपट कर गए होंगे कई पर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफन नहीं देखा-
हर रोज उलझती ज़िन्दगी को सुलझ जाने दो
मुद्दतों बाद खिली हूँ, हवाओं में महक जाने दो ।
जंज़ीरों से जकड़ी हूँ पर निगाहें फलक पर रखती हूँ
दिल में ही सही पर तेवर "बला" के रखती हूँ
अरसे बाद नींद से उठी हूँ हकीकत से रूबरू हो जाने दो
मुद्दतों बाद खिली हूँ, हवाओं में महक जाने दो ।
उलझती धड़कनों को थोड़ा और उलझ जाने दो
सुलझ भी जाऊँगी एक दिन अभी गाँठो से लिपट जाने दो
संजोए रखी थी जिन अंगारों को आज ज़मी पर बरस जाने दो।
मुद्दतों बाद खिली हूँ, हवाओं में महक जाने दो ।
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तेरे दिल को कोई ना पहचाने तो ये उसका कुसूर
हीरे की तो फितरत है चमकना...
अगर किसी की आँखें चौंधिया जाए
तो ये उसकी नजरों का कुसूर !
मैनें तो बड़ी फुर्सत में परखा है तेरे दिल की अच्छाई को
"वो मुझे हर बार पास की नुक्कड़ तक पहुँचाने आना
जब तक मैं घर न पहुँच जाऊ तब तक अपनी चौखट से निहारना
बड़े हक़ से मेरे हाथों में मिठाइयां पकड़ना
वो शाम के वक़्त चाय पर बुलाना"
आज कल की इस दुनिया में लोग मुस्कुरानें में भी मुनाफ़ा ढूँढते हैं
और एक आप हैं जो रिश्तों को हर रोज प्यार से जोड़तें हैं
और फिर भी .... और फिर भी
तेरे दिल को कोई ना पहचाने तो ये उसका कुसूर
हीरे की तो फितरत है चमकना...
अगर किसी की आँखें चौंधिया जाए
तो ये उसकी नजरों का कुसूर !
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प्यार तो बेशक होगा उनके दिल में भी
पर ग़ुरूर की जकड़न उसे करवटें लेने नहीं देती होगी
शिकवा शिकायत का मलहम तो शायद लग भी जाता
पर पुरानी सी कोई टीस उसे सोने नहीं देती होगी
प्यार तो बेशक होगा उनके दिल में भी-
ऐ वक़्त मेरा प्रणाम उस माँ को भी कह देना
जिसके बेटे नें शरहद पर जान गँवाई होगी ,
क्योंकि उस माँ के चरणों में
मातृ दिवस की बधाई इस बरस फिर ना आई होगी ।
वो आँखें आज गर्व से फिर भर आयी होगीं
जिसके लाल नें तिरंगे में लिपट कर माँ भारती की शान बढ़ाई होगी ।
ऐ वक़्त मेरा प्रणाम उस माँ को कह देना जिसके बेटे नें शरहद पर जान गँवाई होगी ।।
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ज़िन्दगी के गुज़रते कुछ लम्हों के साथ ,
बीतती उमर के चंद क़िस्सों के साथ चलो कुछ याद और जोड़ते हैं ।
बनारस की छत पर बीती बचपन की रातों में ,
तुम्हारी बेशुमार सी लगने वाली बातों में चलो कुछ साथ और जोड़ते हैं ।
बीतती उमर के चंद क़िस्सों के साथ चलो कुछ याद और जोड़ते हैं ।
नैनीताल की वादियों और मथुरा की गलियों से ..हरिद्वार के घाटों में फिरते हुए चलो लड़कपन वाला वो एहसास ढूंढते हैं ।
अल्हड़ सी बारिशों में फुर्सत के लम्हात ढूँढते हैं..
इस खूबसूरत से रिश्ते के लिए एक बेपरवाह कायनात ढूंढते हैं ।
ज़िन्दगी के गुज़रते कुछ लम्हों के साथ...बीतती उमर के चंद क़िस्सों के साथ चलो कुछ याद और जोड़ते हैं ।-