Astha Srivastava   (Astha)
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Joined 31 March 2020


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Joined 31 March 2020
14 SEP 2021 AT 7:49

मेरी हिंदी मेरा भारत

पावक में आज प्रवाहमयी दृश्य टपका,
हर्षातिरेक हुआ हिंदी दिवस आज
निश्चल बहती प्रवाहमयी प्राण,
दिनकर क्षितिज की लालिमा समान

मुख मण्डल में हिंदी मा का नाम लिए,
निष्ठावान मार्मिक एहसास लिए
मां कोटि कोटि प्रणाम शौर्य बड़े धनवान लिए
साहित्य की अथाह जलराशि को नमन,
हिन्द की हिंदी से सजा मेरे भारत का चमन

तत्पर मातृ भाषा का सिर ओ ताज लिए,
मातृ भाषा के रस का रसोपान किए
मात्र भाषा नहीं गौरवमय गाथा का गान किए,
संबोधित मेरी हिंदी, मेरे भारत को सलाम दिए
युगल इतिहास को प्रणाम किए

आंचल में हे मां हिन्दी हमको सदा रखना,
जिह्वा पे हे मां अपना वास रखना,
चिरस्थाई यही पहचान रहे,
मेरी हिंदी, मेरा भारत सदा महान रहे !
आस्था श्रीवास्तव!❤️

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13 AUG 2021 AT 10:52

वो मार्मिक है, अदृश्य है,
दृष्टि से ओझल अदृश्य है
पाखण्ड नहीं वो सत्य है,
परोक्ष के पार परिकल्पना वृक्ष है
प्रकृति का सौंदर्य है,
ये प्रेम ही तो अलंकृत रंग है
ये झरना निरंतर निर्मलता की मिसाल है,
अत्यंत अनुभवी उमंग है
ये स्वाधीन खग नहीं,
स्वतंत्र स्वच्छ भाव है
संदेह नहीं, अभिमान नहीं
स्पष्टतया प्रेम है, प्रेम है!

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1 AUG 2021 AT 7:46

मित्रता

निस्वार्थ अमोलक बंधन है मित्रता,
चिरस्थाई रिश्ता है मित्रता
हर बुरे वक्त का सच्चा सहारा है मित्रता,
टूटे दिलों का भी प्रचूर किनारा है मित्रता
मिट जाते हैं कई रिश्ते दुनिया के,
मगर ताउम्र दोस्तों का साथ है मित्रता
मित्र ही जो बुरे वक्त मे हमसफर बने,
प्यार बनाम प्रेम संजोए हैं मित्रता
एसा सौभाग्य है निष्ठ मित्रता
जीवन की हर अनुपम भेट में,
संपन्नता सर्वश्रेष्ठ हैं मित्रता ।

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5 JUN 2021 AT 8:44

Beauty of life

It's life staggered,
With perfectly imperfect things
It's beauty of splendour charm,
And infinite astonishing sights enough calm
Stupefactions or brandishing attractions,
It's beauty of fantastic jubilant actions
It's life with obstinacy of supplication,
Of indeed successful qualifications
It's beauty of qualitative perception,
Of various diverse connections
Living life wholesome with beautiful aspections,
Is all about it's overall expectations!!!!

Composer: Astha Srivastava

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7 MAY 2021 AT 6:55

In the battle of world

World seemingly recognised a startlement. The eternal victory of oneself is all about creating a better way urself by moving ahead apart from the past that has been a stale now in the present scenario, the latent energies are possessed by everyone, the need is to duly find them inside within the vigorous ' you'.
Sometimes the poignant feelings arousing in an individual subsides to empty !! But in such circumstances the major part is to endure ourselves in the arena of success.
The world is a battle of different races involving the series of struggles!!!
Each of us are fancied with the idea of lugging luxuries. To procure such, one must savour the taste of eternal truth of life.

Composed by: Astha Srivastava ❤️

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28 APR 2021 AT 18:50

आत्मीयता

दूर खड़े किसी वार,
होता हर शख्स को अनोखा एहसास
जब श्वाश भी चले निस्वार्थ,
होगा तब ही आत्मीय आभास
राहों का ज्ञान ,
देती उप चेतना
कुछ नर्म , कुछ मर्म एहसास
आत्मा के परोक्ष,
होते परमात्मा
यही नाम मात्र
आत्मीयता की परिभाषा

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27 APR 2021 AT 9:41

वो सन्नाटा

वो बिहवल सा चित्त,
उड़ती मनोदशा
दुख में पीड़ित दर्द,
या हर्ष का कहरा
वो सनसनाहट वायु की
वो पसरा एकांत
ये अनोखा एहसास,
आदत सा होता जा
क्यों हर दिन डुबाए मुझे,
ये गहरा राज़
वो सन्नाटा झकझोरता मुझे नमाबर
तिमिर तिमिर उजियाले में भी,
क्यों लगता मझे ओझल है सब यहां
नश्वरता मोह से दूर कहीं,
बुलाता वो सन्नाटा मुझे बार बार.....

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8 JAN 2021 AT 20:59

क्या हो रहा

रुख बदल रहे,
रिश्ते सिमट रहे
गिला क्यों हुआ,
जब गलती नहीं है
मनोहर सा लगे हैं समा
मगर फ़िर क्यों रिश्ते सिमट रहे
ये किस अड़ंगे में फसा है जहां,
अपनत्व क्यों पराया एहसास हो रहा!!!

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30 DEC 2020 AT 19:43

विचार

संकुचित सा,
सिमट गया है
सिलसिला क्यों इन विचारों का
असमंजस है,
हर जगह
मिले क्यों ना किनारा साहिल सा
मंद मंद है मेरी चेतना
क्यों बंद है चार दीवारों सा
कहां गई आत्मा ,
आवाज़ लगा रही ,
चीखती आवाज़ों सा
मोह और माया के आगे ,
कैसे स्थिर है विचारों की काया????
सवाल है अजायब ,
मात्र निर्भर करता है चरित्र महान उच्च विचारों का!!!

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19 NOV 2020 AT 11:04

ऐसा था ये साल

कुछ आशाएं,
कुछ निराशा
खट्टी मीठी दिल की जिज्ञासा
हर पल के हाल लिए,
कुछ सपनों से अरमान लिए
बीत गया ये साल कुछ ऐसे ही इनाम दिए
तमाम मुश्किलें पड़ती,
बढ़ती चढ़ान मीलों की
कभी हसी के बौछार लिए,
खिलखिलाते मंद मंद स्पर्श करते
कुछ एहसास पुराने,
कुछ रह गए अनजाने ,
ऐसा था यह साल!!!!!

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