ये संसार समाप्तियों का प्रयोजन है,
एक दिन सब अंत
हो जाने का रहस्यमयी उपक्रम है,
इस जग को समाप्ति
हेतु ही आरम्भ मिला है,
एक दिन सब खत्म हो जाना
यहाँ कि नियति में घुला है,
कितने भी जतन करो
होती है यहाँ रोज
समाप्ति रिश्तों में बसे इंसानों की,
समाप्ति आत्मा से ढके शरीर की,
समाप्ति कर्मों में लिप्त भावों की,
समाप्ति सुंदर सपनों की,
समाप्ति भौतिकताओं की,
समाप्ति विश्वास में छुपे आस की,
समाप्ति यौवन के अहसास की,
समाप्ति स्नेह के प्रयास की,
समाप्ति उन रिश्तों की जिन्होंने तुम्हें सुख दिया,
ये संसार प्रारम्भ हुआ कि एक दिन
इसे समाप्ति को जन्म देना है,
कुछ भी कभी शाष्वत नहीं रह जायेगा,
यहाँ बस नादान अतिथि सा रहना है,
सब समाप्त हो जाएगा सिवा इच्छाओं के
क्योंकि इच्छाएं कभी नष्ट नहीं हो पातीं
कहीं न कहीं ब्रम्हांड में बची रह जाती हैं
कोई इच्छा न रह जाये
इस बात कि आकांक्षा ही इच्छा बनकर
शेष रह जाती है
पर एक दिन वो भी छूट जाती हैं कि समय निर्मम है उसे समाप्तियों का मनोरंजन प्रिय है।
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