जीत ज़रूरी है?
या,
फिर हार ज़रूरी?
प्रश्न कुछ वैसा ही है,
जैसे,
राम ज़रूरी या रावण ज़रूरी?
और सोचें,
तो,
पंडित ज़रूरी या पांडित्य ज़रूरी?
स्नेह ज़रूरी या फिर त्याग ज़रूरी?
परिवार ज़रूरी या स्वहित ज़रूरी?
धुंध ज़रूरी या धूप ज़रूरी?
थोड़ा सा और सोचें तो,
बिना किसी ज़रूरत के ही,
सब कुछ ज़रूरी है।।
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