अगर चिढ़ते हैं तो चिढ़ने दो, मेहमान थोड़ी है
ये सब हैं जाहिल, अब्दुल कलाम थोड़ी है
फैलेगा कोरोना तो आएंगे घर कई ज़द्द में
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ देश उनका भी है लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुंह से वहीं निकलेगा जो सच है
हमारे मुंह में तुम्हारी जुबां थोड़ी है
जो आज मरकज में फैलाए हैं कोरोना
किराएदार है जाती मकान थोड़ी है
बुलाते हैं मरकज में फैलाते है कोरोना
हिंदुस्तान इनके खाला का मकान थोड़ी है?-
ढूंढा करोगे हर किसी में मुझे,
वो मंज़र भी आएगा ;
हम याद भी आएंगे और ;
आंखों में समन्दर भी आएगा।-
ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,
ग़म फुरसत में था ठहर गया।
लोगों की नजर में फर्क अब भी नहीं है....
पहले मुड कर देखते थे ,
अब देख कर मुड जाते है।
आज परछाई से ही पूछ लिया,
"क्यों चलती हो मेरे साथ?"
उसने भी हस कर जवाब दिया,
और है ही कों तुम्हारे साथ।-
Zindagi se itni shikayaten hai ki,
Sunane baithu to ek zindagi nikl jaae-
(किसी समशान के बाहर लिखा था)
मंजिल तो तेरी यहीं थी,
पूरी उम्र गुज़ार दी यहां आते आते;
क्या मिला तुझे इस ज़िन्दगी से,
अपनों ने ही जला दिया जाते जाते।-
जिनको आसानी से मिल जाता हूं मै,
वो समझते बहुत सस्ता हुआ मैं
जा नदी से पूछ सेहरा भी मेरी,
किस घड़े ने केह दिया प्यासा हूं मैं।-
The year's come, and they go.
People come into life, and they go.
Just like the ocean,
ebb and flow.
Time and human attention, the only ways we grow.-
तुम्हारी गलियों में
आज भी घूमते है
यही उम्मीद दिल में लिए;
की शायद कहीं हवा में
फिर तुम्हारी उड़ती
खुशबू मिल जाए।-
ना जाने वो क्या था,
प्यार था या कुछ और था;
लेकिन जो तुमसे था
वो किसी और से नहीं था।-
When I fell
In love with you
It felt like
I'll be forever in love
Now when I am not
It feels like
Forever still continues 🌼-