Äßhï Shêk   (Abhishek Sharma)
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Joined 10 January 2019


Joined 10 January 2019
4 APR 2020 AT 20:01

अगर चिढ़ते हैं तो चिढ़ने दो, मेहमान थोड़ी है
ये सब हैं जाहिल, अब्दुल कलाम थोड़ी है

फैलेगा कोरोना तो आएंगे घर कई ज़द्द में
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है

मैं जानता हूँ देश उनका भी है लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है

हमारे मुंह से वहीं निकलेगा जो सच है
हमारे मुंह में तुम्हारी जुबां थोड़ी है

जो आज मरकज में फैलाए हैं कोरोना
किराएदार है जाती मकान थोड़ी है

बुलाते हैं मरकज में फैलाते है कोरोना
हिंदुस्तान इनके खाला का मकान थोड़ी है?

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31 MAR 2020 AT 4:21

ढूंढा करोगे हर किसी में मुझे,
वो मंज़र भी आएगा ;
हम याद भी आएंगे और ;
आंखों में समन्दर भी आएगा।

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29 MAR 2020 AT 2:47

ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,
ग़म फुरसत में था ठहर गया।

लोगों की नजर में फर्क अब भी नहीं है....
पहले मुड कर देखते थे ,
अब देख कर मुड जाते है।

आज परछाई से ही पूछ लिया,
"क्यों चलती हो मेरे साथ?"
उसने भी हस कर जवाब दिया,
और है ही कों तुम्हारे साथ।

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27 MAR 2020 AT 21:29

Zindagi se itni shikayaten hai ki,
Sunane baithu to ek zindagi nikl jaae

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29 APR 2019 AT 6:00

(किसी समशान के बाहर लिखा था)

मंजिल तो तेरी यहीं थी,
पूरी उम्र गुज़ार दी यहां आते आते;
क्या मिला तुझे इस ज़िन्दगी से,
अपनों ने ही जला दिया जाते जाते।

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22 APR 2019 AT 6:59

जिनको आसानी से मिल जाता हूं मै,
वो समझते बहुत सस्ता हुआ मैं
जा नदी से पूछ सेहरा भी मेरी,
किस घड़े ने केह दिया प्यासा हूं मैं।

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19 APR 2019 AT 10:04

The year's come, and they go.

People come into life, and they go.

Just like the ocean,
ebb and flow.

Time and human attention, the only ways we grow.

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16 APR 2019 AT 12:41

तुम्हारी गलियों में
आज भी घूमते है
यही उम्मीद दिल में लिए;
की शायद कहीं हवा में
फिर तुम्हारी उड़ती
खुशबू मिल जाए।

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15 APR 2019 AT 21:44

ना जाने वो क्या था,
प्यार था या कुछ और था;
लेकिन जो तुमसे था
वो किसी और से नहीं था।

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13 APR 2019 AT 12:20

When I fell
In love with you
It felt like
I'll be forever in love
Now when I am not
It feels like
Forever still continues 🌼

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