अस्मिता Sharma   (✨Ashmita✨)
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Joined 15 January 2020


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Joined 15 January 2020
31 DEC 2022 AT 0:14

" हंस कर जीने और जी कर हंसने में "
एक छोटा सा फर्क है —
पहले वाले के लिए खुद से प्यार करना चाहिए,
दूसरे के लिए, दूसरों से प्यार करना जरूरी है।

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9 NOV 2022 AT 22:19

वो कहते हैं ना,
वक्त वक्त की बात है...
महसूस करें तो,
कभी जमीं पर हम
कभी आसमां के करीब...
जमीं से सितारे दिखते हसीं
आसमां से गिरने का डर
करता मन को भयभीत।

काश! उड़ सकती मैं,
ऊंचाई को नापतोल कर स्वप्न देखती तब मैं
आसमां और जमीं के मध्य रहती मैं...
पर तब क्या संतुष्ट रहती मैं ?
हां शायद,
.....
या शायद नहीं, तब भी आधारहीन होती मैं।

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24 AUG 2022 AT 7:02


कमजोर नींव पर खड़ा हर शक्स,
साधन मात्र है भीड़ में।।

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21 MAY 2022 AT 1:18

दर्द में है तू साथ सदा,
हमदर्द हो शायद तुम...

क्यों नही हो सुख में साथ?
लगता है, शुभचिंतक नही हो तुम।

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20 APR 2022 AT 14:51

तू जो कह दे प्यार से...
आराम से, रुक जाऊं।
आजा छुप के, राहों में...
तुझमें ही मैं बस जाऊं।

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8 MAR 2022 AT 14:54

मैं स्त्री हूं!

// Read Caption //

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11 MAY 2021 AT 0:10

क्या क्या लिखूं?
कब तक लिखूं?
अब क्यूं लिखूं?

चलो सच ही लिख दूं,

अन्धकार, अकेलापन, प्यार - इज़हार, और जीवन,
ये सब न रास आते हैं मुझको जब भी मैं सोचूं कि लिख लूं अब।

मोह भंग जैसा प्रतीत होता, है पर अब भी कुछ तो मन में जो हर पल
कहता कि लिख भी लूं, कुछ कह भी लूं पर क्या लिखूं? क्या ही लिखूं?

तलाशती हूं कुछ नवीन शब्द मैं हर घड़ी हर रोज अब,
नाराज से लगते हैं मुझको हर वो शब्द जो अब तक न मिले।

फिर सोचती हूं मैं बन कर पंछी उड़ जाऊं ऊंचा अबकी बारी
चीं चीं करूं और खोज लूं मैं हर वो शब्द जो दुबके हैं कहीं।।

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27 FEB 2021 AT 23:06

अंधकार में
हिम्मत की एक किरण
जब तूने दिखाई तब
आश्चर्य में था मैं कि
ये साहस मुझमें
अचानक क्यों और
कैसे आया...
कुछ पलों में जवाब ऐसा
दिया तूने की
प्रश्न भी मैं न
कर पाया और
टूटने भी न दिया तूने।।

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16 FEB 2021 AT 10:50

Bless everyone with
wisdom of compassion,
humanity and spirituality.
All your children are
lacking true wisdom,
which is now much needed
to save this world.

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15 FEB 2021 AT 0:31

Romantic gestures
are neither silly
nor unpleasant.

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