" हंस कर जीने और जी कर हंसने में "
एक छोटा सा फर्क है —
पहले वाले के लिए खुद से प्यार करना चाहिए,
दूसरे के लिए, दूसरों से प्यार करना जरूरी है।-
वो कहते हैं ना,
वक्त वक्त की बात है...
महसूस करें तो,
कभी जमीं पर हम
कभी आसमां के करीब...
जमीं से सितारे दिखते हसीं
आसमां से गिरने का डर
करता मन को भयभीत।
काश! उड़ सकती मैं,
ऊंचाई को नापतोल कर स्वप्न देखती तब मैं
आसमां और जमीं के मध्य रहती मैं...
पर तब क्या संतुष्ट रहती मैं ?
हां शायद,
.....
या शायद नहीं, तब भी आधारहीन होती मैं।
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दर्द में है तू साथ सदा,
हमदर्द हो शायद तुम...
क्यों नही हो सुख में साथ?
लगता है, शुभचिंतक नही हो तुम।
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तू जो कह दे प्यार से...
आराम से, रुक जाऊं।
आजा छुप के, राहों में...
तुझमें ही मैं बस जाऊं।-
मैं ममता हूं...
मेरे रूप अनेक हैं
मेरा धेय एक है।
मैं तेरे घर में भी हूं
मैं इस कलयुग में, बेघर भी हूं।
इंसानियत नष्ट हो रही
मैं तप सी रही।
मैं हूं तुम सबमें
झांककर तू देख बस खुद में।
मुझे ईश्वर की देन समझ
या तेरे सद्कर्मों का फ़ल समझ।
मैं हूं तो तुम हो
तुम हो तो मैं हूं।
मैं ममता हूं...
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क्या क्या लिखूं?
कब तक लिखूं?
अब क्यूं लिखूं?
चलो सच ही लिख दूं,
अन्धकार, अकेलापन, प्यार - इज़हार, और जीवन,
ये सब न रास आते हैं मुझको जब भी मैं सोचूं कि लिख लूं अब।
मोह भंग जैसा प्रतीत होता, है पर अब भी कुछ तो मन में जो हर पल
कहता कि लिख भी लूं, कुछ कह भी लूं पर क्या लिखूं? क्या ही लिखूं?
तलाशती हूं कुछ नवीन शब्द मैं हर घड़ी हर रोज अब,
नाराज से लगते हैं मुझको हर वो शब्द जो अब तक न मिले।
फिर सोचती हूं मैं बन कर पंछी उड़ जाऊं ऊंचा अबकी बारी
चीं चीं करूं और खोज लूं मैं हर वो शब्द जो दुबके हैं कहीं।।-
अंधकार में
हिम्मत की एक किरण
जब तूने दिखाई तब
आश्चर्य में था मैं कि
ये साहस मुझमें
अचानक क्यों और
कैसे आया...
कुछ पलों में जवाब ऐसा
दिया तूने की
प्रश्न भी मैं न
कर पाया और
टूटने भी न दिया तूने।।-
Bless everyone with
wisdom of compassion,
humanity and spirituality.
All your children are
lacking true wisdom,
which is now much needed
to save this world.
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